विश्व बाल श्रम निषेध दिवस क्यों जरुरी?
बाल श्रमिक जैसे विश्व अभिशाप को समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। यह दिवस बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए आम जनता सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करने के रूप में मनाया जाता है। इसे विश्व बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस भी कहा जाता है 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व बाल श्रम दिवस मनाना शुरू किया था। 2002 में सभी देशों की सर्वसम्मति से एक कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध घोषित किया गया है। वर्तमान में इस संगठन के 187 सदस्य देश है।बाल श्रम की समस्या का मूल है। निर्धनता और अशिक्षा, जब तक विश्व में भुखमरी रहेगी तथा विश्व के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे तब तक इस प्रकार की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहेंगी। विश्व में बाल श्रमिक की समस्या के समाधान के लिए प्रशासनिक सामाजिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास किया जा रहा है। जबरन बालश्रम से संघ द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सूची में 28 सितंबर 2022 तक 78 देशों और इन क्षेत्रों की 159 सामानों की सूची बनी है। बाल श्रम अनुमानों के अनुसार पूरी दुनिया में बाल श्रमिकों की संख्या काफी बढ़ गई है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इनकी संख्या 16 करोड़ बतायी गई है। तथा इसमें यह भी कहा गया है कि 2022- 23 तक यह संख्या 20 करोड़ तक हो सकती है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बाल श्रम निषेध में नियुक्त किया गया है।और 14 वर्ष से कम बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है। बालश्रम मे प्रमुख रूप से अफ्रीकी देश और दक्षिण एशियाई देश हैं। जैसे भारत,बांग्लादेश,पाकिस्तान,नेपाल,चीन,अमेरिका आदि देश हैं। बाल श्रमिक का तात्पर्य ऐसे काम से है जो मानसिक,शारीरिक,सामाजिक या नैतिक रुप बच्चों के लिए खतरनाक और हानिकारक है।और उनकी स्कूली शिक्षा मे हस्तक्षेप करता हो। दुनिया में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक अफ्रीका में कार्य करते हैं। हर पांच में से एक बच्चा बालश्रम में शामिल है। दूसरी सबसे खराब संख्या एशियाइ प्रशांत क्षेत्र में आती है। जहां सभी बच्चों में से 7प्रतिशत बाल श्रम के शिकार हैं। बाल श्रम संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन में सबसे अधिक चर्चित विषय में से एक है।और बाल श्रम को रोकने के लिए गंभीर प्रयास भी किए गए हैं। लेकिन अभी भी लगभग 160 मिलियन बच्चे बाल श्रम मे लगे है। और दुनिया को अभी भी बाल श्रम को खत्म करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। आईएलओ का कहना है कि बाल श्रमिक सामाजिक और आर्थिक कारकों का नतीजा है। जैसे कि गरीबी, इसको माप करने वाले सामाजिक मानदंड,वयस्कों और किशोरों के लिए अच्छे काम के अवसरों की कमी, प्रवासन और आपात स्थिति इससे सामाजिक असमानता और भेदभाव पैदा होता है।विशेषज्ञों के अनुसार बाल श्रम के खिलाफ किसी भी प्रभावी कार्यवाही को गरीबी अलगाव और पलायन के कारण बच्चों को होने वाले शारीरिक और भावनात्मक नुकसान की सीमा को पहचानना,आवश्यकहै।बाल श्रम मे 5 और 11 वर्ष के बीच बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। और अब हुए सर्वे मे कुल वैश्विक आंकडो़ के आधे से अधिक है। आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के बाद से 5 से 17 साल के बीच खतरनाक काम करने वाले बच्चों की संख्या पहले से बढ़कर 7.9 करोड़ हो गयी हैं।इस वर्ष 2023 विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के उत्सव का विषय हैं। "सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण और बाल श्रम का खात्मा"