कैसे मनाये विश्व पर्यावरण दिवस 2023?
हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है यह 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है जिसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में की गई थी। पहली बार 1974 में यह विशेष थीम के साथ मनाया गया था। हर साल कोई ना कोई देश इसकी मेजबानी करता है 2023 में इसे कोटे डी आइवर द्वारा होस्ट किया जाना है। तथा 2023 विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है।( बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन) आज पूरे विश्व की सबसे बड़ी चुनौती है।
पर्यावरण संरक्षण आज पूरा विश्व मानव विकास की तरफ ध्यान केन्द्रित करके चल रहा है। मानव ने प्राकृतिक विविधता, जैव विविधता कई वनस्पतियों जीव -जन्तुओं और पशु -पक्षियों का विलुप्तीकरण किया है। इस दिन दुनिया भर के विभिन्न संस्थाएं ,दफ्तर, स्कूल, कॉलेज,अकादमी, पर्यावरण से संबंधित प्रतियोगिता,भाषण, निबंध, चित्रांकन, प्रतियोगिता या अन्य कार्यक्रमों पौधरोपण अभियान, आयोजित कर पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरुक करने का प्रयास करते हैं। साथ ही साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने का संकल्प भी लिया जाता है।
लोगों को वृक्षारोपण, प्रकृति प्रेम, वृक्ष कटाई से रोकने के लिए जागरूक होना चाहिए। साथ ही साथ अपने आसपास को साफ सुथरा रखने, पानी की बचत, बिजली का कम उपयोग करने,उसकी जगह हो सके तो सोलर एनर्जी का उपयोग करने का प्रयास किया जा सकता है।इस दिन जंगली जीवन की सुरक्षा आदि के लिए संकल्प भी लिया जाता है।
ताकि हमारी प्राकृतिक सुंदरता सदैव बरकरार रहे।1973 में पृथ्वी पर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने और इस दिशा में दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। अवैध व्यापार की वजह से हमारे कीमती जैवविविधता नष्ट होते जा रहे हैं। वही जंगली जानवरों जैसे हाथी, बाघ, गैंडा, गोरिल्ला समुद्री कछुए, आदि महत्वपूर्ण प्रजातियों के अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस वन्य जीवो के प्रति अपराध में शामिल लोगों को सुधार सकें, और उनके द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई कर सकें। पृथ्वी पर एक बेहतर भविष्य पाने के लिए इस बड़ी समस्या को हल करना आवश्यक है।और यह एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने हैं। प्रकृति ने समस्त जीवों की उत्पत्ति एक ही सिद्धांत के तहत की है।व समस्त प्राकृतिक जीव-जन्तुओं के जीवन का अस्तित्व एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब मनुष्य ने स्वयं को पर्यावरण का हिस्सा ना मानकर उसको अपने आवश्यकओं के अनुसार विकृत करने लगा।
इन विचारोंऔर ब्यवहारों ने प्रकृति के रूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया। नदियां,पहाड़, जंगल,और जीव पृथ्वी पर चारों तरफ जो नजर आते थे।इनकी संख्या घटती गई इनमें से ढेरों विलुप्त के कगार पर है। ऐसा लगता है कि इंसान समाज ने प्रकृति के विरुद्ध अघोषित युद्ध छेड़ रखा है। और स्वयं को प्रकृति से अधिक ताकतवर साबित करने में जुटा हुआ है।यह जानते हुए भी कि प्रकृति के विरुद्ध युद्ध में वह जीत कर भी अपना वजूद सुरक्षित नहीं रख सकता है।पर्यावरण में फैला प्रदूषण धीरे-धीरे बेकाबू और अशुद् बनता जा रहा है। जिसके प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन ही विश्व पर्यावरण दिवस के रूप मे है।
प्रदूषण से पृथ्वी से लेकर वायुमंडल तक प्रभावित हुआ है। इस पर रहने वाले सभी जीव -जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। वनों की अनियंत्रित कटाई, पॉलिथीन का प्रयोग इसका मुख्य कारण है।
जिसके परिणामस्वरूप बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग, चक्रवात बाढ़,तूफान,जैसे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा दुनिया पर मंडरा रहा हैं। वैज्ञानिक और पर्यावरणविद लगातार इसे लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं।और ऐसे में सभी को जरूरत है।कि पौधरोपण करें हमे फलदार पौधरोपण अधिक करना चाहिए। और हो सके तो जंगलों मे भी फलदार पौधरोपण हो ताकि लंगूर, बन्दर, भालू आदि आबादी की तरफ न आये। जंगलों मे जामुन, बेर, आम काफल, आंवला, आदि फलदार पौधे होने चाहिए। यदि एक पेड़ काटते हैं तो अपने लिए ना सही अपने आने वाली पीढ़ी के लिए सैकड़ों पौधे लगाने का प्रयास करें।
यह संकल्प और भाव हम सबको ब्यवहार मे लाना ही होगा। तभी विश्व पर्यावरण दिवस की संकल्पना भी सिद्ध हो सकेगी।