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Showing posts from June, 2023

जंकफूड / फास्ट फूड स्वास्थ्य के लिए क्यों हानिकारक?

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  जंक फूड या फास्ट फूड ऐसे पदार्थ हैं।जिनमें कैलोरी छोड़कर कुछ भी पोषक तत्व नहीं होते हैं। ये सभी पदार्थ जंक फूड के वर्ग में आते हैं। इनमें समोसा, पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन, पकोड़े, जैसे पदार्थों हैं।ये तो इस वर्ग में आते ही हैं। हमारे घरों में रोजाना उपयोग होने वाले बिस्कुट,फ्लेक्स,नमकीन, ओट्स,आलू चिप्स, आइसक्रीम, जैसे पदार्थ भी जंक फूड वर्ग में ही आते हैं। इसीलिए इन पदार्थों का सेवन या तो हमें नहीं करना चाहिए।  और यदि किसी कारणवश करना ही पड़ता है। तो सीमित मात्रा में करना चाहिए। इन सभी पदार्थों में बसा शक्कर, तथा नमक की मात्रा ज्यादा होती है। जो हमारे लिए अत्यंत हानिकारक हैं। इन पदार्थों के ज्यादा सेवन से शरीर में अनावश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जिससे मोटापे के साथ-साथ खून की कमी, थकावट मांसपेशियों एवं हड्डियों में दर्द भी हो सकता है।  क्या है विकल्प ?     अब क्योंकि यह पदार्थ हमारे लिए इतने हानिकारक है तो इनकी जगह खाने के लिए कुछ सेहतमंद पदार्थों का चयन करना चाहिए। इस सूची में भुने चने,उबले चने, भुने मखाने  सूखे बीज,मेवे,  फल,सलाद अंकुरित सब्जिय...

डायविटीज/शुगर क्यों? उपचार और खान-पान

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  शुगर यानी डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी आज के जमाने मे बनती जा रही है।इससे पूरी दुनियाग्रसित है।दुनिया के हर देश मे शुगर के मरीज बढ रहे हैं। पश्चिमी देशों में शुगर के मरीज लगभग 60 वर्ष की उम्र के हैं। जबकि भारत मे 30 से 45 साल के युवाओं मे शुगर हो जा रहा है।  आईसीएमआर के अनुसार भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज हो चुका है। और 13.6 करोड लोग प्रीडायबीटिक हैं। देश में 11.09 4% लोग डायबिटिक हैं। और 15.3% प्रीडायबिटीज है।अर्थात भारत की एक चौथाई आबादी डायबिटीज की चपेट में आ चुकी है। और 35.45 लोगों को हाइपरटेंशन है। भारत में डायबिटीज के कारण    शहरी क्षेत्र की और प्रवास  बाहर का खान-पान फास्ट फूड  पर्यावरण और जीवन शैली में बदलाव  शारीरिक गतिविधियों का कम होना। इसके परिणाम स्वरूप उच्च कैलोरी उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का खान-पान और उच्च चीनी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ गया है।   विश्व में पाकिस्तान और कुवैत ऐसे देश है जहां सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज है।जो की बहुत चिंता का विषय हो गया है। डायबिटीज होता कैसे है। जब शरीर के पेनक्रियाज म...

अन्तराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस क्या है?

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 आज दुनिया भर में युवा कई प्रकार के नशाओं के आदी बनते जा रहे हैं।जिससे उनका जीवन बर्बाद होते जा रहा है। इनमे शराब,सिगरेट,तम्बाकू,ड्रग्स,आदि जैसे जहरीले और जानलेवा पदार्थ,हैं।ये मादक पदार्थो मे आते हैं। अन्य नशे मे हैं - शोधकर्ताओं के अनुसार हर वह चीज जिसकी आपको लत लग जाए नशे की श्रेणी में ही आता है।ऐसे ही कुछ आदतें हैं जिन्हें छोड़ना बहुत मुश्किल होता है।जैसे मादक पदार्थों के अलावा चाय, काफी, वर्तमान समय के नवीन यंत्र, जैसे वीडियो गेम्स, स्मार्टफोन,फेसबुक, आदि का ज्यादा मात्रा में उपयोग नशे की श्रेणी में आता है।  ऐसे में बहुत जरूरी है।कि युवाओं को नशा मुक्ति हेतु जाग्रत किया जाए। इस हेतु 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है।नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के खिलाफ। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस  1989 से 26 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। वियना में 26 जून 1987 को एक नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के सम्बंध मे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई...

21जून को ही विश्व योग दिवस क्यों मनाते हैं ?International yoga day 2024

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  योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जो अब वैश्विक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है, योग के मामले में भारत विश्व ग्रुप भारत में योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और योग के जरिए सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग लाभकारी है। यह शरीर को रोग मुक्त कर सकता है, और मन को शांत प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई क्रिया अब विदेशों तक फैल चुकी है, हर साल अंतररार्ष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, और इस दौरान दुनिया भर के लोग सामूहिक रूप से योगाभ्यास करते हैं। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सम्पूर्ण विश्व मे मनाया जाता है। 27 सितंम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अन्तराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को मंजूरी दी। जिसके बाद पहला विश्व योग दिवस 21 जून 2015 को पूरे विश्व मे मनाया गया। और जिसका नेतृत्व भारत के द्वारा किया गया था।  इस दिन 35000 से ज्यादा लोगों ने दिल्ली के राजपथ पर योग किया।जिसमें 84 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस इवेंट को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। स्वस्थ जीवन के लिए योग करना बहुत आवश्यक है। यो...

हल्दीघाटी का युद्ध क्यों और कब हुआ?

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  महाराणा प्रताप हिन्दुस्तान के एक ऐसे राजा थे। जिन्होंने  अकबर की गुलामी को कभी  स्वीकारा नहीं।  अकबर की सेना के साथ हुए हल्दीघाटी का युद्ध सत्ता की लड़ाई के लिए लड़ा गया था। जगमाल अकबर के साथ जाकर मिल जाते हैं। अकबर बिना किसी विवाद के राणा प्रताप को अपने अधीन लाना चाहता था। और इस सिलसिले में मानसिंह कोडरमल को मनाने के लिए भेजा। लेकिन राणा  अपनी बात पर अडिग रहते हैं। और वे अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं राणा प्रताप को अपने अधीन लाने की हर कोशिश में असफल होने के बाद  अकबर मान सिंह के नेतृत्व में लगभग 10,000 की फौज को पूरे दलबल के साथ आक्रमण करने के लिए भेजते हैं। अकबर ने बहुत से रियासतों को  धीरे-धीरे अपने अधीन कर लिया था।और इन रियासतों ने भी अकबर की सत्ता को स्वीकार कर लिया था।और अकबर यही चाहता था कि महाराणा प्रताप मेरे अधीन हो जाये।उसने बहुत से राजपूत राजाओं मे तोड़ -फोड़ की।बडे़-बडे़ योद्धाओं को अपने साथ मिलाया।ताकि राणा को भी अपने अधीन कर लिया जाये। परन्तु,महाराणा प्रताप ने उसकी सभी चालें,सभी प्रस्तावों, को दर किनारे कर दिया।अन्त  मे उसने ...

धरती पर बढता मरुस्थल और सूखा के कारण?

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  धरती लगातार मरुस्थल और सूखे की तरब बढती जा रही है। इस पर चिन्यध हेतु  प्रत्येक वर्ष 17 जून को विश्व मरुस्थल और सूखा रोकथाम दिवस का आयोजन किया जाता है।विश्वंभर मे मरुस्थल और सूखा रोकथाम दिवस मनाने का मुख्य कारण है कि जिस प्रकार से लगातार भूमि क्षरण होती जा रही है। और धरती में लगातार सूखा बढ़ता जा रहा है पेड़- पौधों और फसलों को जब पर्याप्त मात्रा में वर्षान  आने से जल की प्राप्त नहीं हो पाती है।और फसलें नष्ट होने लगती है। तो उसे सूखा कहते हैं। जल की कमी है और बिरिश के अनियमितता के कारण सूखा होता है।वर्षान होने से पानी की कमी होती है जो पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है। जबकि सूखा स्वाभाविक रूप से होता है।  मानव गतिविधि जैसे कि पानी का उपयोग, औरसही जल प्रबंधन न होने से क्षेत्र मे  शुष्क परिस्थितियों मे बढोतरी होती है।वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के साथ मरुस्थलीकरण को सतत विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में माना गया था।पिछले दो दशकों से लगातार सन 2000 से अब तक लगभग सूखे की घटनाओं और मरुस्थली करण मे 29...

प्रफुल्लचन्द्र राय भारत के रसायन उद्योग के जनक

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  प्रफुल्ल चंद्र राय जो भारत के महान रसायन वैज्ञानिक और भारत मे रसायन उद्योग के जनक माने जाते हैं। उनका जन्म 2 अगस्त 18 61 को काटेपारा में हुआ था। जो अब भारत की आजादी के बाद वर्तमान में बांग्लादेश का हिस्सा है। उनके  पिता का नाम हरिश्चंद्र तथा तथा माता का नाम भुवन मोहिनी देवी था। इनके पिता जमीदार थे। प्रफुल्ल चंद्र राय  के पिताजी भी एक जागरूक व्यक्ति थे। उन्होंने अपने गांव में शिक्षा हेतु  विद्यालय और  पुस्तकालय खुलवाएं। प्रफुल्ल चंद्र राय को बचपन से ही खासकर वैज्ञानिकों की जीवनी पढ़ना बहुत पसंद था। प्रफुल्ल चंद्र राय अपने विद्यार्थी जीवन में महान वैज्ञानिक न्यूटन, गैलीलियो, बेंजामिन, फ्रैंकलीन ,के जीवन से बहुत प्रभावित थे।  इन वैज्ञानिकों की जीवनी ने उन्हें बहुत प्रभावित किया।और उन्होंने बचपन से ही वैज्ञानिक बनने का सोच लिया था। उन्होंने एफ ए की परीक्षा कोलकाता से पास की।और उच्च शिक्षा के लिए वे लंदन चले गए। लंदन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में उन्होंने प्रसिद्ध रसायन विज्ञान अलेक्जेंडर, कर्म बाउंसर से मित्रता की।  उनका रसायन विज्ञान में प्रेम बढ़ता गया...

सूचना का अधिकार क्या है ?और कैसे लें?

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  किसी भी लोकतंत्र के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। भारत में 15 जून 2005 को अधिनियम लागू हुआ। इस अधिनियम को 12 अक्टूबर 2005 को संपूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया।सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्यों में पारदर्शिता, और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार मुक्त कार्यों का होना। भारत में सूचना अधिकार अधिनियम में कुल 6 अध्याय 31 धाराएं और 2 अनुसूचियां हैं। (राइट टू इनफार्मेशन) या सूचना के अधिकार से तात्पर्य  कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को समस्त कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करने से है।इसकी धाराएं  4 (1),5(1),5(2 ),12, 13, 15,16,24 ,27,तथा 28 हैं। 15 जून 2005 से लागू हुए इस अधिनियम का विस्तार संपूर्ण भारत मे है। इसका उद्देश्य जन संबंधी मामलों में पारदर्शिता को बढ़ाना। तथा सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को रोकना है।यह अधिनियम नागरिकों को प्रशासन के सभी स्तरों पर सूचना हासिल करने का व्यावहारिक अधिकार प्रदान करता है।  यह विधेयक काफी विस्तृत है और यह केंद्र,राज्य,तथा स्थानीय सरकारो...

क्यों जरूरी है विश्वरक्तदान दिवस?

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  रक्तदान एक महादान है। रक्तदान से कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। रक्तदान दिवस मनाने की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्तराष्टीय रेडक्रास संघ ने 14 जून 2004 से किया था। तब से हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। साल 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100% स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नीव डाली थी। वर्ष 1997 में संगठन ने  विश्व के प्रमुख 124 देशों से आग्रह किया कि।वे अपने यहां रक्तदान को बढावा दें।    रक्तदान का उद्देश्य यह था कि किसी को भी  रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। रक्तदान के बाद पैसे ना लेने वालों में तंजानिया जैसे देश में 80% रक्तदाता पैसे नहीं लेते हैं। कई देश ऐसे हैं जहां लोग रक्तदान में पैसे लेते है। ब्राजील में तो यह कानून है कि आप रक्तदान के पश्चात किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले सकते हैं।आस्ट्रेलिया के साथ-साथ कुछ अन्य देश हैं जहां पर रक्तदाता पैंसा बिल्कुल नहीं लेते है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन भारत में 75 लाख यूनिट ही रक...

गायत्री मंत्र क्या है? Gayati mantra

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  ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेंण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्  ।। अर्थ--हे सकल श्रृष्टि के रचियता,प्राणदाता,दुःख दूर करने वाले प्रभु, हममे बुद्धि उत्पन्न करके,हमे विर्धामियों से बचाकर हम अच्छे कर्म करते हुए आपकी उपासना करें।। हिन्दू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता का जाता है। सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। माता गायत्री को भारतीय संस्कृत की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गायत्री का उत्तरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते हैं।इस बार गायत्री जयंती का पर्व 13 जून गुरुवार को है। गायत्री की उपासना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां गायत्री से आयु, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन, एवं ब्रह्मवर्चस के इन सात  पुण्यों की प्राप्ति होती हैं। यह अथर्ववेद में बताया गया है कि मां गायत्री पंचमुखी युक्त  है।  जिसका मतलब है कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड अर्थात जल, वायु, पृथ्वी, तेज, और आकाश  पांचों तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी है उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों ...

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस क्यों जरुरी?

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बाल श्रमिक जैसे विश्व अभिशाप को समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। यह दिवस बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए आम जनता सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करने के रूप में मनाया जाता है। इसे विश्व बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस भी कहा जाता है 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व बाल श्रम दिवस मनाना शुरू किया था। 2002 में सभी देशों की सर्वसम्मति से एक कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध घोषित किया गया है। वर्तमान में इस संगठन के 187 सदस्य देश है।बाल श्रम की समस्या का मूल है। निर्धनता और अशिक्षा, जब तक विश्व में भुखमरी रहेगी तथा विश्व के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे तब तक इस प्रकार की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहेंगी। विश्व में बाल श्रमिक की समस्या के समाधान के लिए प्रशासनिक सामाजिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास किया जा रहा है। जबरन बालश्रम से संघ द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सूची ...

क्रान्तिकारी राम सिंह तोमर उर्फ राम प्रसाद बिस्मिल की अन्तिम इच्छा क्या थी?Ram parsad bismil

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सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है,देखना है कि जोर कितना बाजू ए-कातिल मे है। इस नारे को बोलने वाले क्रान्तिकारी अमर शहीद (राम सिंह तोमर) उर्फ राम प्रसाद बिस्मिल जी का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम मुरलीधर और माता का नाम मू़लमती था ।उनके पिता एक राम भक्त थे ।19 वर्ष की आयु में उन्होंने क्रान्ति के रास्ते पर अपना पहला कदम रखा। सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है। वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां। एक महान क्रांतिकारी वीर राम प्रसाद बिस्मिल ने न सिर्फ इसे लिखा बल्कि मुकदमों के दौरान अदालत में अपने साथियों के साथ सामूहिक रूप से गाकर इसे लोकप्रिय भी बनाया।बिस्मिल ने इन पंक्तियों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नौजवान स्वतंत्र सेनानियों के लिए संबोधित गीत के रूप में लिखा था। इन पंक्तियों को बाद मे स्वतंत्रता सेनानियों की नौजवान पीढ़ी जैसे शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, के साथ भी जोड़ा जाता रहा।ये अमर पंक्तियां अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतन्त्रता संग्राम का नारा बन गयी थी।चंद्रशेखर आजाद जैस...

क्यों बिरसा मुंडा भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और जनजाति के लोकनायकथे?Birsa Munda story

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9 जून 1900 को शहीद हुए। बिरसा मुंडा का नारा था।अबुआ दिसुम अबुआ राज। जय जोहार का नारा है भारत देश हमारा है।का नारा देने वाले बिरसा मुंडा का जन्म मुंडा जनजाति के गरीब परिवार में 15 नवंबर 1875 को छतरपुर झारखंड के खूंटी जिले की उलीहातू गांव में हुआ था। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश ईसाई मिशनरियों को चुनौती देने और मुंडा और उरांव समुदाय के साथ हो रहे धर्मांतरण और ब्रिटिश शासन द्वारा जनजाति जीवन शैली व सामाजिक संरचना एवं आदिवासी संस्कृति में हस्तक्षेप करने वाली गतिविधियों के खिलाफ विद्रोह करना शुरू किया। अंग्रेजो ने जब आदिवासियों से उनके जल, जंगल, जमीन को छीनने की कोशिश की तो उलगुलान आंदोलन शुरू हुआ था। इस आन्दोलन का ऐलान करने वाले बिरसा मुंडा ही थे। बिरसा मुंडा को आदिवासी भगवान की तरह पूजते हैं। उनका पूरा जीवन आदिवासी बंधुओं के उत्थान के लिए समर्पित था।अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन के लिए भी उन्होंने आदिवासियों को प्रेरित किया था। अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध आंदोलन 1 अक्टूबर 1894 को बिरसा मुंडा ने सभी मुंडाओं को एकत्र कर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। जिसे मुंडा विद्रोह उलगुलान कहा जाता ...

विश्व महासागर दिवस 2023 की थीम

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विश्व महासागर दिवस 8 जून को मनाया जाता है। 8 जून 2009 को पहला विश्व महासागर दिवस मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह निर्णय लिया था कि विश्व महासागर दिवस मनाया जाना आवश्यक है। विश्व महासागर दिवस यह संदेश देता है कि महासागरों की सुरक्षा और संसाधनों के उचित उपयोग को अपनाना हमारे अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। महासागरों को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है। और यह दुनिया के लोगों के लिए भोजन और प्रोटीन का एक बहुत बडा़ स्रोत भी हैं। जीवित रहने के लिए महासागर आधारित व्यवसाय पर रहने वाले लोगों के साथ-साथ दुनिया की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।आज मानव गलतियों से जल प्रदूषण और लोगों की अज्ञानता के कारण महासागर मर रहे हैं। और मछलियों की कई प्रजातियाँ कम हो रही है। इसके साथ- साथ यह दिवस कई महासागरीय पहलुओं जैसे सामुदायिक संसाधनों का अनुचित उपयोग, पारिस्थितिकी संतुलन,खाद्य सुरक्षा,जैवविविधता, तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डालता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक 3 अरब से अधिक लोग महासागर आधारित उद्योगों में कार्यरत हैं। और यह संख्या समय के साथ और अधिक बढ़ती जा...

डेंगू बुखार के कारण, लक्षण,और इलाज

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  डेंगू बुखार एक मच्छर जनित रोग है। डेंगू बुखार चढ़ाने वाला मादा एडीज एजिप्टी मच्छर छोटा और गहरे रंग का होता है। इसकी टांगे ज्यादा खुली हुई नहीं होती है। और ना ही यह ज्यादा ऊपर तक उड़ पाता है। इसलिए आम तौर पर यह पैरों,टखनों और कोहनी पर काटता है। सूरज निकलने के 2 घंटे बाद और सूर्यास्त से कई घंटे पहले तक यह सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। यह मच्छर ज्यादातर सुबह के समय काटते हैं। डेंगू का बुखार कष्टदायक होता है। और शरीर को दुर्बल कर देता है। जो लोग डेंगू बुखार से दूसरी बार संक्रमित हो जाते हैं उनमें गंभीर बीमारी विकसित होने का काफी अधिक जोखिम होता है।  डेंगू बुखार के लक्षण-    तेज बुखार, शरीर पर दानों से दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल है। कुछ गंभीर मामलों में रक्तस्राव, और सदमा भी हो सकता है। जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है।  डेंगू बुखार के कारण-  डेंगू बुखार चार निकट संबंधी डेंगू विषाणुओं से सम्बधित है। जो वेस्ट नाइल संक्रमण और पीत ज्वर का कारण बनते हैं।  डेंगू बुखार मच्छर के काटने से फैलता है जब संक्रमित मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो वाय...

बिम्सटेक समूह के सदस्य देश?

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  6 जून 1997को बिम्सटेक (बे आफ बंगाल इनिटिएटिव फार मल्टी सेन्ट्रल टेक्नीकल एण्ड इकोनोमिक कोओपरेशन) का गठन बैंकॉक मे हुआ था। इसके उद्देश्य समानता और साझेदारी की भावना से संयुक्त प्रयासों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति में तेजी लाने के लिए किया गया था।  इसकी शुरुआत आपसी व्यापार, संपर्क, और सांस्कृतिक तकनीकी और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। इसका मुख्यालय बांग्लादेश के ढाका में है। इसके वर्तमान मे 7 सदस्य देशों में से पांच दक्षिण एशिया से हैं। जिनमें बांग्लादेश भूटान भारत नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं ।तथा दो म्यांमार और थाईलैंड दक्षिण पूर्व एशिया से हैं।  बिम्सटेक न सिर्फ दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच संपर्क बनाता है।बल्कि हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है।इसके मुख्य उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना, सामाजिक प्रगति में तेजी लाना, और क्षेत्र में समान हित के मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देना है। प्रारंभ में इसका गठन 4 सदस्य राष्टो के साथ किया गया था।  इन देशों मे 1.80...

कैसे मनाये विश्व पर्यावरण दिवस 2023?

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  हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है यह 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है जिसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में की गई थी। पहली बार 1974 में यह विशेष थीम के साथ मनाया गया था। हर साल कोई ना कोई देश इसकी मेजबानी करता है 2023 में इसे कोटे डी आइवर द्वारा होस्ट किया जाना है। तथा 2023 विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है।( बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन) आज पूरे विश्व की सबसे बड़ी चुनौती है। पर्यावरण संरक्षण आज पूरा विश्व मानव विकास की तरफ ध्यान केन्द्रित करके चल रहा है। मानव ने प्राकृतिक विविधता, जैव विविधता कई वनस्पतियों  जीव -जन्तुओं और  पशु -पक्षियों का विलुप्तीकरण किया है।  इस दिन दुनिया भर के विभिन्न संस्थाएं ,दफ्तर, स्कूल, कॉलेज,अकादमी, पर्यावरण से संबंधित प्रतियोगिता,भाषण, निबंध, चित्रांकन, प्रतियोगिता  या अन्य कार्यक्रमों  पौधरोपण अभियान, आयोजित कर पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरुक करने का प्रयास करते हैं। साथ ही साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने का संकल्प भी लिया जाता है।  लोगों को  वृक्षारोपण, प्रकृति प्रेम, वृक्ष कटाई से रोकने के ...

छत्रपति शिवाजी महाराज और हिन्दू साम्राज्योत्सव क्यो?chatrapati Sivaji

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आधुनिक भारत मे छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू साम्राज्य को पुनः स्थापित किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने रायरेश्वर (भगवान शिव) के मंदिर में अपनी उंगली काटकर अपने खून से शिवलिंग पर रक्ताभिषेक कर हिंदवी स्वराज्य की शपथ ली थी। उन्होंने श्री (ईश्वर) की इच्छा से स्थापित हिंदुओं के राज्य की संकल्पना को जन्म दिया। ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी सन 1674 को  शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया गया था। इसी दिन से मराठा शक्ति का उदय होने के साथ ही हिंदू साम्राज्य का भी उदय हुआ मराठों के पूर्वजों में हिंदू धर्म को जीवित और अक्षुण बनाये रखने के लिए अपनी आहुतियां दी थी। जिनकी वीरताओं की गाथा आज भी सुनाई जाती है।  भारत में हिंदू संगठनों में से मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक वाले दिन को हिंदू साम्राज्योत्सव के रूप में मनाता है। हिंदू साम्राज्योत्सव दिवस मनाने का उद्देश्य है हिंदू साम्राज्य, संस्कृति, सभ्यता, और सौहार्द के प्रति हिंदू समाज को जागरूक करना। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 की शुभ लग्न में जीजाबाई की कोख से हुआ था। शिवाजी महाराज...

जानिये कैसे है विभिन्न फलों मे औषधीय गुण?

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हम विभिन्न प्रकार के फलों को  खाते हैं। इनके औषधीय गुण जानिये।  (1)-केला: 🍌 ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,हड्डियों को मजबूत बनाता है,हृदय की सुरक्षा करता है,अतिसार में लाभदायक है, खांसी में हितकारी है। (2)-जामुन:  🌑 केन्सर की रोक थाम,हृदय की सुरक्षा,कब्ज मिटाता है,स्मरण शक्ति बढाता है,रक्त शर्करा नियंत्रित करता है।डायबीटीज में अति लाभदायक। (3)-सेवफ़ल: 🍎 हृदय की सुरक्षा करता है, दस्त रोकता है,कब्ज में फ़ायदेमंद है,फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है. (4)-चुकंदर:-🍐 वजन घटाता है,ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,अस्थिक्छरण रोकता है,केंसर के विरुद्ध लडता है,हृदय की सुरक्षा करता है। (5)-पत्ता गोभी: 🍏 बवासीर में हितकारी है,हृदय रोगों में लाभदायक है,कब्ज मिटाता है,वजन घटाने में सहायक है। केंसर में फ़ायदेमंद है। (6)-गाजर:-  नेत्र ज्योति वर्धक है, केंसर प्रतिरोधक है, वजन घटाने मेँ सहायक है, कब्ज मिटाता है, हृदय की सुरक्षा करता है। (7)- फ़ूल गोभी:-🍈 हड्डियों को मजबूत बनाता है, स्तन केंसर से बचाव करता है, प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी है, चोंट,खरोंच ठीक करता है। (8)-लहसुन:🍓 को...

बेडू कैसे है फेफड़ों और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी?

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  बेडू फल जो मीठा और स्वादिष्ट होता है। इसे हिन्दी मे अंजीर  कहते हैं यह फल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि यह कश्मीर हिमांचल,नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सूडान तथा इथियोपिया में भी पाया जाता है।दुनिया भर में इसकी 800 प्रजातियाँ पाई जाती है। हिमाचल में इसे फाल्गू नाम से भी जाना जाता है।   अंग्रेजी में इसे वाइल्डफिग कहते हैं।बेडू का फल केवल खाने लायक ही नहीं होता बल्कि इसकी जड़, पत्तियां, फल,छाल  भी उपयोग के लायक होता है।इसकी पत्तियां जानवरों में दूध की पैदावार को बढ़ाती है। पेड़ से निकलने वाला दूध  चोट लगने पर मददगार होता है। इससे सफेद दूध निकलता है उसको शरीर में कहीं चोट लगने पर लगाया जाता है जो चोट को ठीक कर देता है।इस फल की सब्जी भी बनाई जाती है।  इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कई बीमारियों से दूर रखता है। जून में यह फल पकने लग जाता है।  इससे स्क्वाश और जेली बनाई जाती है। हाई ब्लड प्रेशर, पायरिया का इसमे रामबाण इलाज है। इसके फलों के सेवन करने से फेफड़ों से सम्बधित बीमारी दूर होती है। यह फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूती देता है। यह बहुत औषधीय गुणों से...

कैसे बना भारत विश्व दुग्ध उत्पादक मे प्रथम?

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  दूध पूरे विश्व में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी उम्र के लोगों का पसंदीदा पेय है। दूध  स्वास्थ्यवर्धक होता है इसे पीने से कई सारे फायदे मिलते हैं कैल्शियम से भरपूर दूध स्वास्थ्य के संपूर्ण विकास के लिए  जरुरी है। लोगों तक दूध के इन फायदों को पहुंचाने के उद्देश्य से हर साल 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। 1 जून यानी वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जाता है।2024 मे विश्व दुग्ध दिवस की थीम है।दुनिया को पोषण देने के लिए गुणवत्तपूर्ण पोषण प्रदान करने मे डेयरी द्वारा निभाई गयी महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाने पर केन्द्रित है। स्वास्थ्य के लिए दूध कितना महत्व होता है और यह हमारे भोजन का कितना जरूरी हिस्सा है इस बात को समझाने और दूध को भोजन में शामिल करने के लिए और आम जन को जागरूकता करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है।  विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत 1जून 2001से  शुरू हुआ।इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी। 2022 में 72 देशों ने इसमें भाग लिया था। इन देशों में लगभग 586 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। भारत में 1 जून को विश्व दु...