ऊर्जा मे कोयले का महत्व
राष्ट्रीय कोयला खनिक दिवस 4 मई को मनाया जाता है। यह दिन उन हजारों कोयला खनन करने वाले श्रमिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण को स्वीकार करने और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। भारत विश्व के खनिज सम्पन्न देशों मे से एक है। कोयला खनिज भी उनमे से एक है। कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है। भारत मे मुख्य रूप से तीन प्रकार का कोयला मिलता है। 1- लिग्नाइट, 2-बिटुमिनस,3-एन्थ्रेसाइट,इनमे से सबसे उच्च गुणवत्ता का कोयला एन्थेसाइट है। भारत मे लगभग 319अरब टन का कोयला भण्डार है। भारत कोयले भण्डार मे विश्व मे 5वें स्थान पर है। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का50-55प्रतिशत भाग कोयले से प्राप्त किया जाता है। कोयला श्रमिक जो इस खतरनाक क्षेत्र में काम करते हैं। और देश के नागरिकों को सुख-सुविधाओं से भरा जीवन जीने के लिए देते हैं। कोयला ऊर्जा के मूलभूत स्रोतों मे से एक है। यह सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिक जीवाश्म ईंधनोंमें से एक है। जो कार्बन से भरपूर है। खनिक हर दिन सुरंग खोदकर और कोयला निकाल कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। कई खनिक फेफड़ों की बीमारियों का सामना करते हैं इसीलिए कोयला खनन सबसे खतरनाक व्यवसायों मे आता है।भारत की आधी आर्थिक वाणिज्यिक ऊर्जा की आवश्यकता कोयला उद्योग द्वारा की जाती है। यह बिजली पैदा करने स्टील और सीमेंट बनाने के काम आता है।कोयले का मुख्य रूप से भाप उत्पादन, का उपयोग कर विद्युत उत्पादन में उपयोग किया जाता है। घरेलू प्रकाश व्यवस्था, हीटिंग और खाना पकाने के लिए गैस का उत्पादन करने के लिए कोयले को गर्म किया जाता है।और वह भाप से दबाया जाता है। इसे पेट्रोलियम या डीजल के समान सिंथेटिक इंजन बनाने के लिए किया जाता है। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में स्थित है। इसके अलावा इंडोनेशिया भारत,आस्टेलिया,दक्षिण अफ्रीका आदि देशों मे है। कोयले का उपयोग कागज कपड़ा ,और कांच उद्योग में किया जाता है।इसका उपयोग कार्बन फाइबर, सामग्री, सिलिकॉन ,आदि के निर्माण में भी किया जाता है। भारत में कोयला खनिज दिवस का इतिहास दशकों पहले से मनाया जाता है।भारत में दामोदर नदी के पश्चिमी तट के साथ रानीगंज कोलफील्ड्स में 1774 में कोयला खनन ईस्ट कम्पनी ने शुरू किया। भारत में कोयले के सम्रद्ध क्षेत्र उड़ीसा, झारखण्ड,पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र और देश के कुछ मध्य और दक्षिणी भागों में है। उनमें से कई कोयले की खदान में अवैज्ञानिक खनन पद्धतियां थी।बाद मे इनका राष्ट्रीयकरण किया गया। 1956मे भारत सरकार ने राष्ट्रीय कोयला विकास निगम की स्थापना की। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं के आधार पर उद्योग और विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।अतः ऊर्जा मे कोयले का बहुत बडा महत्व है।