क्या किनगोडा़ मे है शुगर का रामबाण इलाज?

 


किनगोडा़ अर्थात दारूहल्दी उत्तराखंड के स्थानीय भाषा में इस पौधे को किनगोडा़ या किलमोडा़ कहा जाता है।इसकी पूरे विश्व मे लगभग450 प्रजातियां हैं यह पौधा समुद्रतल से लगभग 1200 मीटर से 1800 मीटर तक की ऊँचाई पर उगता है। और 2से 3 मीटर ऊंचाई तक इसका पौधा होता है। इसका फल अप्रैल से जून तक पकता है। यह एक बेहतरीन एंटीबायोटिक पौधा है। साथ ही इसमें अन्य औषधीय गुण भी हैं।



 इसका वानस्पतिक नाम बेरवेरीज एरिस्टाटा है। इसकी जड़ों को रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट पीने से शुगर रोग को ठीक किया जा सकता है। अर्थात इसमे  शुगर का  रामबाण इलाज है।  साथ ही यह पीलिया के रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है। इसके फलों का सेवन करने से मूत्र संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। और इसके फल में विटामिन सी होता है जो त्वचा के रोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसकी जड़ से बरवरिश नामक होम्योपैथिक दवाई बनाई जाती है।और एल्कोहल पेय भी बनाये जाते हैं। 




दारूहल्दी एंटी इम्फलेन्ट्री,एंटीट्यूमर,और एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं।इसके छाल से प्राकृतिक रंग भी तैयार किये जाते है।इसके फूलों से चटनी बनायी जाती है। और फलों का जूस बनाया जाता है। जो शुगर रोगियों के लिए  बहुत लाभ दायक है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसके  संरक्षण के और अधिक जानकारी के अभाव में 



यह औषधीय पौधा धीरे-धीरे विलुप्त की ओर बढ़ रहा है। औषधीय क्षेत्र मे कार्य करने वाले लोगों। कृषकों और अन्य लोगों मे जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है। यदि इसके उत्पादन के लिए अच्छी नीति बनेगी तो इसका संरक्षण ठीक से हो सकेगा। और भविष्य मे उत्तराखंड राज्य मे रोजगार के लिए अच्छे अवसर भी  पैदा कर सकते है।

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