जंगलोंं मे आग लगने के परिणाम?
जंगलों में आग लगने से जंगल की जैविक विविधता पर बहुत अस्थाई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जंगल मे आग लगने से बहुत प्रकार के पेड -पौधों की प्रजातियाँ, औषधीय पौधे, आदि विलुप्त होते हैं। कई जलाशय, पनघट मे जल समाप्त हो जाता है। जीव जंतुओं के रहने के ठिकाने खत्म हो जाते हैं। उनके चारे के पेड- पौधे,पत्तियां ,घास और दुर्लभ वनस्पतियां खत्म हो जाती हैं। पशु-पक्षियों, के नवीन बच्चे,मर जाते है। कई समुदायों की आर्थिक स्थिति को सीधे प्रभावित करती है। और फिर जैव विविधता का तन्त्र विगड़ता है।
पर्यावरण प्रदूषण बढता है। स्वच्छ हवा,का अभाव बढता है। जो जीव -जन्तुओं और मानव समाज के लिए समस्या बनती है। अप्रैल-मई वह मौसम होता है जब देश के विभिन्न भागों में जंगल मे आग लगने की अधिक घटनायें बढती है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में आग लगना ज्यादातर मानव निर्मित है। बीडी, सीग्रेट पीना और माचिस की तिली को लापरवाही से फेंकना, एक सर्वे के अनुसार उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के कारण जीव जंतुओं की कम से कम 4.5 हजार से ज्यादा प्रजातियाँ का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। विश्व भर में और और भारत में वनों में आग लगने की घटनाएं
लगातार बढ़ती जा रही हैं। भारत के राजस्थान, असम, नागालैंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। हर साल कई हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंच रहा है। भारत में वनो का बड़ा क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर जो देश की कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62% है ।
आग रोकने हेतु उपाय-
स्थानीय जनता, का सहयोग सर्व प्रथम, साथ ही वन विभाग की तरफ से अग्निशमन जलाशय,खुले अग्निशमन उपकरण, वन अग्नि निगरानी समिति, हवाई निगरानी, मानचित्रण, संचार उपकरण, सहयोग और संयुक्त, अभ्यास, सडकें,आदि ब्यवस्थाओं का पहले से नियोजन हो।
अतः जंगलो मे आग लगने के कारण पर्यावरण पर गम्भीर परभाव पड़ता हैं। मानव जगत के साथ-साथ सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को बड़ा नुकसान होता है।