विश्व हीमोफीलिया दिवस
विश्व हीमोफीलिया दिवस हर वर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है। हिमोफीलिया एक रक्त स्राव से सम्बधित बीमारी है।जिसमें रक्त सामान्य तरीके से नहीं जमता है। क्योंकि इसमे थक्केदार बनाने वाले प्रोटीन नहीं होते हैं
अगर किसी को हीमोफीलिया है तो उसे चोट लगने के बाद अधिक समय तक रक्त स्राव हो सकता है। क्योंकि खून रोकने की क्षमता उनके शरीर में कम हो जाती है। इस दिन का महत्व हीमोफीलिया और रक्त संबंधी विकार वाले लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाति है। गंभीर रोगियों में मांसपेशियों, जोड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों में रक्तस्राव हो सकता है। यह एक विरासत में मिली बीमारी होती है। जो बच्चे को उसके माता-पिता से मिलती हैं। इसलिए जल्दी पता लगने पर रोगियों को बीमारी से बचने और बीमारी के बारे में सावधानियां रखने के लिए जागरुक किया जा सकता है। जिन लोगों को गंभीर हीमोफीलिया है उनके लिए सिर्फ एक साधारण टक्कर मात्र से भी मस्तिष्क में रक्त का कारण बन सकती है। यह सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है जिससे बचना चाहिए। इसके संकेत और लक्षण - दर्दनाक सिर दर्द, उल्टी आना,या दृष्टि मे दो -दो तस्वीरें दिखता हैं। हिमोफीलिया लगभग हमेशा एक अनुवांशिक विकार होता है ।लेकिन कभी-कभी यह अन्य लोगों को भी हो सकता है।
विश्व हिमोफीलिया दिवस की शुरुआत 1989 में हुई थी यह दिन बेहतर चिकित्सा उपचार के लिए और रक्तस्राव रोकने और इससे लाभ पाने जाने वाले लोगों को शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है।दुनियाभर में भारी संख्या में लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं
रोगियों को क्या लेना चाहिए। हीमोफीलिया के रोगियों को आयरन युक्त आहार लेना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, जौ साबुत गेहूँ। जैसे अनाज को भोजन में शामिल करना चाहिए।
रोगियों को क्या नहीं करना चाहिए मिठाई ,चॉकलेट, पेस्ट्री शीतल पेय पदार्थ और कार्बोहाइड्रेट जैसे पदार्थों को नहीं लेना चाहिए।यह रोग प्रोटीन(थ्राम्बोप्लास्टिक) नामक पदार्थ की कमी से होता है।