राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र जी ने कैसे बन्देमातरम गीत से समाज जागरण किया? Bankim chandra

राष्ट्रगीत बन्देमातरम के रचयिता और बंग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून सन 1838 को उत्तरी 24 बंगाल मे हुआ। भारत माता की प्रतिमा को सर्वप्रथम मूर्त रुप देने वाले आप ही थे। बन्देमातरम गीत ने क्रान्तिकारियों को अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लडा़ई लड़ने के लिए जोश से ओत प्रोत किया। और बाद मे राष्ट्रगीत बना। बंकिम जी की शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता में हुई ।1857 में उन्होंने बी ए पास किया और 1869 में कानून की डिग्री हासिल की इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी की। और 1891 में सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त हुए। प्रेसीडेन्सी कॉलेज से ही बीए की पदवी लेने वाले ये पहले भारतीय थे।शिक्षा समाप्त के बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्त हो गई।कुछ समय बाद बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे। राय बहादुर और सीआईटी उपाधियां भी प्राप्त की। बी ए की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने 1858 में डिप्टी मजिस्ट्रेट का पदभार संभाला। सरकारी नौकरी में रहते हुए उन्होंने 1857 का गदर देखा था।जिसमें शासन प्रणाली में आकस्मिक परिवर्तन हुआ शासन ईष्ट इंडिया कम्पनी के हाथों में न रहकर महारानी विक्टोरिया के हाथों में आ गया था। सरकारी नौकरी में होने के कारण वे किसी


 सार्वजनिक आंदोलन में प्रत्यक्ष भाग नहीं ले सकते थे।उन्होंने साहित्य के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के लिए जन जागरण का संकल्प लिया। वंदे मातरम भारत के राष्टीय गीत के रूप में जाने वाले बंकिम चंद्र चटर्जी को समाज जागरण और प्रवर्तक के रूप में भी जाना जाता हैं। आनन्दम जैसे ग्रंथ ने स्वतंत्रता की लड़ाई को बडी ताकत दी। उन्होंने उपन्यास को नया रूप दिया फिर भी उनकी पहला उपन्यास अंग्रेजी में था। उनके उपन्यासों को राष्ट्रवादी विचारों के लिए जाना जाता है। भारतीय जनता में स्वतंत्रता की भावना जागृत करने के लिए उन्होंने वंगदर्शन पत्रिका कि प्रकाशन शुरू किया।बंकिम चंद्र जी ने कपाल
कुंडली, मृणालिनी,विषवृक्ष,चंद्रशेखर,कृष्णकांतेर विल,आनन्दमठ,आदि उपन्यास लिखें। उनका आनन्दमठ सबसे प्रसिद्ध उपन्यास प्रकाशित हुआ था।ऐतिहासिक और सामाजिक ताने-बाने से बने हुए इस उपन्यास ने राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बडा योगदान दिया। इस प्रकार भारतीय जन मानस मे राष्ट्र भाव और राष्ट्र जागरण करने वाले उपन्यासों,साहित्यों  की रचना करने वाले बंकिम चन्द्र जी का निधन 8 अप्रैल 1894 को हुआ।  

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