ऐतिहासिक दांडी यात्रा कब हुई और क्योंहुई?Dandi yatra
महात्मा गांधी जी द्वारा नमक सत्याग्रह आन्दोलन दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत भी है। परन्तु महत्वपूर्ण नमक कानून को तोडना था। दांडी यात्रा की शुरुआत 12 मार्च 1930 को गांधी जी के नेतृत्व में हुई थी। 24 दिनों तक यह पदयात्रा मनपाड़ा के साबरमती आश्रम से शुरू होकर नवसारी स्थित छोटे से गांव दांडी तक की थी। नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए प्रमुख आन्दोलनों मे से एक है। इस आंदोलन ने नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार का विरोध किया था। उस दौर में ब्रिटिश शासन ने चाय, कटोरी और यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार कायम रखा था।
उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था। भारतीयों को इंग्लैंड से आने वाले नमक के लिए कई बार ज्यादा पैसे देने होते थे। इह यात्रा में शामिल लोगों ने समुद्र के पानी से नमक बनाने की शपथ ली गांधी जी के साथ उनके 78 आनुयायियों ने यह यात्रा की और 240 किमी लंबी पैदल यात्रा तय की। गांधी जी के साथ उनके समर्थक समुद्र किनारे पहुंचे जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा।और सविनय अविज्ञा आंदोलन की भी शुरुआत आज ही के दिन मानते हैं। जो
अंग्रेजो के खिलाफ देशभर में विरोध का एक बड़ा संकेत था।भारत में कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थी। लेकिन पीछे नहीं मुडे़। इस आंदोलन में लोगों ने गांधी जी के साथ पैदल यात्रा की और जो नमक पर जो कर लगा था उसका विरोध किया ।इस आंदोलन में कई
नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया ।1931 को गांधी और इरविन के बीच हुए समझौते से यह आन्दोलन खत्म हुआ। इस आंदोलन ने संपूर्ण देश में अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक जन संघर्ष को जन्म दिया था। गांधी जी के साथ सरोजिनी नायडू ने भी नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया।यह यात्रा 24 दिन में 340 किलोमीटर तक पहुंची। इस आन्दोलन ने ब्रिटिश शासन को हिलाना शुरू कर दिया।यह आन्दोलन एक ऐतिहासिक दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।