राजा हरिसिंह और जम्मू कश्मीर
महाराजा हरि सिंह एक महान शिक्षाविद प्रगतिशील विचारक और उच्च ब्यक्तित्व के धनी थे। जम्मू और कश्मीर की रियासत की अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह की पुण्यतिथि 26 अप्रैल को है।
महाराजा हरि सिंह का जन्म 4 सितंबर 1895 को जम्मू में हुआ था। तथा उनका निधन 26 अप्रैल 1961 को 65 उम्र की साल मे महाराष्ट्र में हुआ था।महाराजा हरि सिंह 23 सितंबर 1923 को जम्मू और कश्मीर के
नये महाराज बने। अपने पहले संबोधन में महाराजा हरि सिंह ने कहा मैं एक हिंदू हूं लेकिन अपनी जनता के शासक के रूप में मेरा एक ही धर्म न्याय।शुरुआती दौर में राजा हरि सिंह
शासन की चमचागिरी करने वालों के खिलाफ थे। उन्होंने किसानों की हालत सुधारने के लिए कृषि राहत अधिनियम बनाया। जिसने किसानों को महाजनों के चंगुल से छुड़ाने में मदद की।शैक्षणिक रूप में अत्यंत पिछड़े राज्य में उन्होंने अनिवार्य शिक्षा के लिए नियम बनाएं। सभी के लिए बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी बना दिया इसीलिए लोग इन स्कूलों को जबरी स्कूल भी कहने लगे।उन्होंने सबसे क्रांतिकारी
घोषणा अक्टूबर 1932 में की। जब राज्य के सभी मंदिरों को दलितों के लिए खोल दिया। यह घोषणा शायद देश में पहली ऐसी कोशिश थी। इससे पहले कोल्हापुर के साहू जी महाराज के अलावा इस तर्ज पर सोचने वाला राजा उस दौर में शायद ही कोई हो।1930 के दशक में जम्मू कश्मीर में हिंसक झड़प के बाद मुस्लिम राजनीति का जो आरंभ हुआ वह कश्मीर के लिए घातक हुआ। महाराजा हरि सिंह की जयंती पर राजकीय अवकाश हेतु मांग
राजनीतिक नेताओं में युवा राजपूत सभा के सदस्यों, और जम्मू-कश्मीर परिवहन संघ के प्रमुख सहित नागरिक समाज के सदस्यों ने की। जो मांग पूरी हुई।जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 4 सितंबर को महाराजा हरिसिंह की जयन्ती पर राजकीय अवकाश घोषित किया है।15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो उसके साथ पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर भी आजाद हो गए। हरि सिंह जम्मू और कश्मीर को न तो पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे। और नही भारत मे। इसलिए उन्होंने एक रास्ता निकाला स्टैंडस्टिल स्टैंडस्टिल
समझौता यानी जो जैसा वह वैसा।स्टैंड स्टील समझौते का फायदा उठाकर पहले नाकाबंदी हुई ।और फिर कव्वालियों की आड़ में पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर फर आक्रमण कर दिया। राजा हरि सिंह एक देशभक्त थे। उन्होंने कभी भी अंग्रेजों के साथ कोई गुप्त समझौता नहीं किया।जब उनको लगा कि मुझे जम्मू कश्मीर को विलय करना ही चाहिए तो उन्होने भारत को चुना और भारत मे 26अक्टूबर 1947को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। और इस प्रकार से जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया।