सैम मानेक्शा भारत के पहले फील्ड मार्शल

देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेक्शा का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर पंजाब में हुआ था।उनकी शुरुआती पढ़ाई पंजाब और नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में हुई थी।  वे 1अक्टूबर 1932 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के लिए चुने गए। 4 फरवरी 1934 को वहां से पासआउट  हुए।  और ब्रिटिश भारतीय सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट बने। अपने कैरियर के दौरान उन्होने 5 युद्ध लडे। इनमें दो विश्वयुद्ध ,भारत पाकिस्तान विभाजन 1962, का चीन भारतीय युद्ध 1965 और 1971 का भारत


 पाकिस्तान युद्ध, अपने कैरियर के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैम मानेक्शा ने अपनी सेना के साथ बर्मा में जापानी आर्मी के खिलाफ मोर्चा संभाला उस समय उनकी कंपनी के 50% से अधिक सैनिक मारे गए। लेकिन मानेक्शा ने जापानियों से़ लड़ाई लड़ी।और अपने मिशन में सफल हुए।एक महत्वपूर्ण स्थान पर  कब्जा करते हुए वह दुश्मन की धुंधली गोलाबारी में बुरी तरह से घायल हो गए थे। उनको 7गोलियां लगी थी। मौत निश्चित थी। लेकिन उन्हें युद्धक्षेत्र से रंगून ले जाया गया। जहां डॉक्टरों द्वारा उनका इलाज किया गया।उसके बाद वे ठीक हो गए। 1942मे भारत की आजादी की लडाई और अन्य कई महत्वपूर्ण कार्य भी किये। 1947 में विभाजन के बाद उनकी सैन्य इकाई पाकिस्तानी सेना का हिस्सा बन गयी। लेकिन उन्हें पंजाब रेजीमेंट में नियुक्त किया गया। बाद मे उन्होने योजना और शासन प्रबंधन में महत्वपूर्ण


 भूमिका निभाई ।1947- 48  जम्मू-कश्मीर अभियान के दौरान उन्होंने युद्ध क्षमता भी दिखाई। वे फिर डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के कमांडेंट बने। 1963 में उन्हें सेना कमांडर के पद पर पदोन्नत किया गया। और उन्हें पश्चिमी कमान की जिम्मेदारी दी गई। 1964 में उन्हें पूर्वी सेना के जीओसी इन सी सी के रूप में शिमला से कोलकाता भेजा गया था। इस दौरान उन्होने नागालैंड से आतंकवादी गतिविधियों का सफलतापूर्वक सफाया कर दिया। जिसके कारण उन्हें 1968 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनकी शानदार राष्ट्रीय सेवा के परिणाम स्वरूप भारत सरकार ने 1970 में मानेक्शा को पद्म


 विभूषण से सम्मानित किया।और 1 जनवरी 1973 को उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया। वे फील्ड मार्शल का पद प्राप्त करने वाले पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला कर दिया। सोम मानेक्शा के


 नेतृत्व मे भारत ने पाकिस्तानी हमले का ऐसा जवाब दिया कि 13 दिनों में ही पाकिस्तानी सेना ने हथियार डाल दिए। और पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। माना जाता है कि यह किसी युद्ध में हथियार डालने वाले सैनिकों की सबसे बड़ी संख्या है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को भारी क्षति उठानी पड़ी। और एक नये देश बांग्लादेश का जन्म हुआ।  1971 में भारत के


 प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी चाहती थी कि अप्रैल महीने में भारत पूर्वी पाकिस्तान यानी वर्तमान बांग्लादेश पर हमला कर दे। लेकिन मानेक्शा ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया उन्होंने इंदिरा जी से कहा कि इस समय लड़ाई से हारने का खतरा रहेगा। इसके बाद उन्होंने इंदिरा जी से युद्ध की तैयारी के लिए समय लिया।और जंग के लिए सेना को तैयार करना शुरू कर दिया। आखिर में यह जंग अप्रैल के बजाय दिसंबर में हुई और भारत ने जीत हासिल की।  15 जनवरी 1973 को मानेक्शा सेवानिवृत्त हुए उनका निधन 27 जून 2008 को वेलिंगटन तमिलनाडु के आर्मी अस्पताल में हुआ।उस समय वे 94 वर्ष के थे।क्षमा गर्व है। भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेक्शा जी पर।...जय हिंद

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