उत्तराखंड मे नरभक्षी बाघों का बढता खतरा एक चुनौती
उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य है इसका लगभग 71.5 प्रतिशत भाग पर वन हैं। आये दिनों लगातार यहां बाघों के हमने बढते जा रहे है। अलग -अलग जिलों मे समय- समय पर बाघों और अन्य जानवरों के हमले मनुष्यों पर होते रहते हैं। लेकिन बाघों के सबसे ज्यादा हमले कार्नबेटनेशनल पार्क (टाइगर रिजर्व) से सटे क्षेत्रों मे हो रहे है रामनगर, सल्ड,ढिकुली,नैनीडाण्डा,मोण्ड,रिखणीखाल आदि क्षेत्रों मे गौर किया जाये तो इसके बहुत सारे कारण हैं 1-जंगली मांसाहारी जानवरों की संख्या का बढना। 2-लगातार उत्तराखंड से बढता पलायन। गावों का सूनापन गांवों की खेती, किसानी, बकरवालों,गौपालों की गतिविधियों का जंगलों मेना के बराबर होना।उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय उद्यानों मे खासकर कार्बेट नेशनल पार्क मे बाघों की संख्या का बढना जिससे बाघों के लिए वन क्षेत्रफल का कम होना। पहले गुलदार अधिक संख्या मे गांवों की तरफ आये। अब लगातार बाघ गांवों की तरफ आने लग गये हैं और वे लगातार मनुष्यों पर हमले कर रहे हैं। ऐसे मे सभी की जिम्मेदारी भी बन जाती है कि मानव और जंगली जीवों के बीच के संघर्ष को रोका जाये।आम जनता वन विभाग, सामाजिक संगठन, पर्यावरण, संगठन, शासन और प्रशासन सबको मिलकर कार्य करना होगा। वरना बाघोंऔर अन्य जीवों का खतरा एक बडी चुनौती बन जायेगी।