गुरु नानक जी और प्रकाश पर्व
सिक्खों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 वि संवत 1526 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। बचपन से ही गुरु नानक जी आध्यात्मिक विवेक और विचारशील,व्यक्तित्व के थे ।उन्होंने 7 साल की उम्र में ही हिंदी और संस्कृत सीख ली थी 16 साल की उम्र तक आते-आते वह अपने आसपास के राज्य में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और जानकार बन चुके थे।
उन्होंने इस्लाम, ईसाई धर्म, और यहूदी धर्म के शास्त्रों का भी अध्ययन किया। नानक जी की शिक्षा गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं। नानक जी का मानना था कि भगवान का निवास प्रत्येक व्यक्ति के समीप होता है इसलिए हमें धर्म जाति लिंग, राज्य के आधार पर एक दूसरे से द्वेष नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा अर्पण,कीर्तन सत्संग, और एक
सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही सिख धर्म की बुनियादी धारणा है। धार्मिक कट्टरता को कम करने के लिए उन्होंने अपने सिद्धांतों को प्रसारित करने हेतु एक सन्यास की तरह घर छोड़कर चल कर दिये। और
लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढाना, आरंभ कर दिया।उन्होने तत्कालीन अंधविश्वास और पाखंड का जमकर विरोध किया।वे हिंदू मुस्लिम एकता की बात करते थे। धार्मिक सद्भभाव की स्थापना के लिए सभी तीर्थों की यात्रा की। और सभी धर्मों के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने सभी धर्मों के उपदेशों की अच्छाइयों को संग्रह करके सिक्ख धर्म से जोडा। उन्होने 25 वर्ष के भ्रमण किया।लंगर लगाने की परम्परा नानक जी ने ही किया। भ्रमण के दौरान जिन-जिन स्थानों पर वे गये। वहां आज तीर्थ स्थल हैं। उनके जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप मे मनाया जाता है। उनको साक्षात् ईश्वर के दर्शन हुए।
उनके सिद्धांत इस प्रकार है।
1-ईश्वर एक है
2- सदैव ईश्वर की उपासना करो
3-जगत का कर्ता सब जगह है। और सब प्राणियों में मौजूद है
4-सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भी डर नहीं रहता है।
5- ईमानदारी से और मेहनत करके उदर पूर्ति करना चाहिए।
6-बचराकिर्य करने के बारे मे न सोचें और न किसी को सतायें।
7-सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा क्षमाशील रहना चाहिए।
8-मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमे से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
9-सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
10-भोजन शरीर को ज़िंदा रखने के लिए जरुरी है। परन्तु लोभ- लालच और संग्रहवृत्ति बुरा है।