Posts

Showing posts from April, 2023

मनुष्य के लिए पशु चिकित्सा क्यों जरुरी है।

Image
  जानवरों ने मनुष्यों को दूध देने के साथ ही उनके खेतों में और अन्य कार्य में मदद की है। दूध एक स्वस्थ आहार का एक मजबूत घटक है। और यह हमे  जानवरों से प्राप्त होता है। यह सब यही दर्शाता है कि जानवर मनुष्य के जीवन के लिए  कितने महत्वपूर्ण है।हर युग में कुत्तों को इंसानों का सबसे वफादार माना जाता है। हमारे जीवन में जानवरों की भूमिका बहुत बड़ी है। जानवर कई तरीकों से मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। यह कई घरों में हमारे दोस्त या साथी या परिवार के हिस्से के रूप में भी होते हैं। हमारी पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवित जीव पाए जाते हैं।जिनको  मुख्यतःतीन वर्गों में विभाजित किया गया है। एक पेड़ पौधों की श्रेणी है। तो दूसरे को जानवरों की श्रेणी में विभाजित किया गया है। कभी इंसान भी जानवरों की श्रेणी का ही हिस्सा था। लेकिन इंसान अपने असाधारण गुणों के कारण वह जानवरों की श्रेणी से अलग हो गया है। इस पृथ्वी पर पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करने के लिए पौधों जानवरों और इंसान का समान रूप से उपस्थित होना जरुरी है। जानवरों या पशु शब्द सूनते ही हमारे आंखों के सामने कई जानवरों की छ...

सरदार हरिसिंह नलवा क्यों एक महान योद्धा थे?

Image
  सरदार हरि सिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह की फौज के सबसे भरोसेमंद सैनिक कमांडर थे। हरिसिंह नलवा का जन्म 28अप्रैल 1791को पंजाब मे हुआ था। महाराजा रणजीत सिंह के शासन के दौरान 1807 ईस्वी से लेकर 1837 ईस्वी तक हरि सिंह नलवा ने लगातार अफगानों के  खिलाफ जटिल लड़ाईयां जीती। हरि सिंह  नलवा ने पठानों के विरुद्ध कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और युद्ध कौशलों की दृष्टि से हरी सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेना नायकों मे की जा सकती है।   हरि सिंह नलवा ने 1813 में अटक, 1818 में मुल्तान  1819 में कश्मीर, और 1823, में पेशावर को महाराजा रणजीत सिंह की रियासत में मिला लिया था। इसके बाद सारे अफगान शासक हरिसिंह से खौफ खाने लगे। जब-जब हरिसिंह जंग के मैदान में उतरते और अपने दोनों हाथों में  तलवार लेकर दुश्मन सैनिकों के सिर कलम करना शुरू करते तो दुश्मन डर के मारे बिना लड़े ही भाग जाते थे।हरि सिंह नलवा को लोग महान वीर योद्धा मानते थे और उनकी तुलना अंग्रेज नेपोलियन से किया करते थे। उनकी बहादुरी की वजह से उनको सरदार की उपाधि दी गई। वे कश्मीर ,हाजरा और पेशावर के गवर्नर र...

राजा हरिसिंह और जम्मू कश्मीर

Image
 महाराजा हरि सिंह एक महान शिक्षाविद प्रगतिशील विचारक और उच्च ब्यक्तित्व के धनी थे। जम्मू और कश्मीर की रियासत की अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह की पुण्यतिथि 26 अप्रैल को है। महाराजा हरि सिंह का जन्म 4 सितंबर 1895 को जम्मू में हुआ था। तथा उनका निधन 26 अप्रैल 1961 को 65 उम्र की साल मे महाराष्ट्र में हुआ था।महाराजा हरि सिंह 23 सितंबर 1923 को जम्मू और कश्मीर के नये महाराज बने। अपने पहले संबोधन में महाराजा हरि सिंह ने कहा मैं एक हिंदू हूं लेकिन अपनी जनता के शासक के रूप में मेरा एक ही धर्म न्याय।शुरुआती दौर में राजा हरि सिंह  शासन की चमचागिरी करने वालों के खिलाफ थे। उन्होंने किसानों की हालत सुधारने के लिए कृषि राहत अधिनियम बनाया। जिसने किसानों को महाजनों के चंगुल से छुड़ाने में मदद की।शैक्षणिक रूप में अत्यंत पिछड़े राज्य में उन्होंने अनिवार्य शिक्षा के लिए नियम बनाएं। सभी के लिए बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी बना दिया इसीलिए लोग इन स्कूलों को जबरी स्कूल भी कहने लगे।उन्होंने सबसे क्रांतिकारी  घोषणा अक्टूबर 1932 में की। जब राज्य के सभी मंदिरों को दलितों के लिए खोल दिया। यह घोषणा शायद दे...

मलेरिया कैसे होता है?

Image
मलेरिया ऐसी बीमारी है जो प्लाज्मोडियम मच्छर में मौजूद परजीवी की वजह से होता  एनाफिलीज नामक मादा मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। जब यह मादा मच्छर काटता है। तो मनुष्यों के रक्त प्रवाह मे यह वाइरस संचारित होता है। और फिर यह मच्छर के काटने पर फैलता जाता है।अब  सतर्कताऔर जागरूकता के कारण देश मे 84.4प्रतिशत  की कमी, मलेरिया की आयी है। ये मच्छर रुके हुए पानी, और खासकर बरसात मे बारिश के कारण होते हैं।  जब किसी व्यक्ति को मलेरिया होता है तो उसके लक्षण इस प्रकार से दिखाई देते हैं।  बुखार आना, सिर में दर्द होना ,उल्टी होना, मन का मचलना  ठंड लगना चक्कर आना  थकान होना पेट दर्द, तेज से सांस लेना,  मलेरिया के रोकथाम के लिए हमें मच्छरों के प्रजनन वाले स्थानों को नष्ट करना चाहिए।   पानी में मच्छर अपना प्रजनन न करे।ऐसे रुके पानी की जगहों को ढक कर रखना और सुखा देना।  या पानी की सतह पर तेल डालना  जिससे मच्छरों के लारवा सांस न ले सके। हमे हमेशा सतर्क और अपने ईमुनिटी सिस्टम को बनाये रखना चाहिए। इसके उपचार हेतु मरीच के तुरन्त डाक्टर को दिखाना चाहि...

पुस्तकें पढना क्यों जरुरी - Pustake Padhna Kyu Jaruri

Image
  हमें जीवन मे पुस्तकों को पढते रहना चाहिए। विश्व पुस्तक दिवस पहली बार 23 अप्रैल 1995 को मनाया गया लोगों को और किताबों की बीच की दूरी को खत्म करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। वर्तमान समय में कंप्यूटर और इंटरनेट के प्रति  बढ़ती दिलचस्पी के कारण लोगों से पुस्तकों की दूरी बढ़ती जा रही है। और यही कारण है कि यूनेस्को ने लोगों से किताबों की इस बढ़ती दूरी को खत्म करने के लिए 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।अब इसे लगभग पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा है। यूनेस्को ने सबसे पहले 23 अप्रैल 1995 को  विलियम शेक्सपियर और मिगुएल सर्वैंटिग  जैसे साहित्यकारों को सम्मान देकर इस दिन को चुना था।इस दिन उन लेखकों को और पुस्तकों को विश्वव्यापी श्रद्धांजलि भी अर्पित करने के लिए और लोगों को सभी  पुस्तकों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रण भी लिया जाता है। 23 अप्रैल को हर साल 100 से अधिक देशों में लाखों लोग इस  दिन को मनाते हैं। स्कूल,कालेज , और सार्वजनिक स्थानों में निजी व्यवसाय और पेशेवर समूह में इस पुस्तकें भेट करके या फिर अलग-अलग तरीक...

लीवर क्यों महत्वपूर्ण है-Liver Kyon Mahatvapoorn Hai

Image
19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है। लीवर हमारा एक महत्वपूर्ण अंग है। आज के दिन लीवर से संबंधित बीमारियों और उनसे बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।   लीवर हमारे शरीर के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण अंगों में से एक है।जो कई महत्वपूर्ण कार्य करता है।जैसे खून से गंदगी को छानना,पोषक तत्वों का भंडारण करना,पित्त का उत्पादन करना  और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करना।लीवर में होने वाली समस्याओं का असर पूरे शरीर मे होता है। ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए लीवर को स्वस्थ रखने की  जरूरत होती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जीवन शैली और आहार के सेवन की सलाह देते हैं। जीवन शैली और आहार संबंधी गड़बड़ी के कारण लीवर से जुड़ी कई तरह की  बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। फैटी लीवर, सिरोसिस, और कई मामलों में लीवर फैलियर होने  सभावना बढ जाती है लीवर को स्वस्थ रखने से गंभीर बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।शराब लीवर की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता हैं।शराब के अधिक सेवन से लीवर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जो लीवर के सामान्य कार्य में परेशानी का क...

विश्व विरासत दिवस

Image

विश्व हीमोफीलिया दिवस

Image
 विश्व हीमोफीलिया दिवस हर वर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है। हिमोफीलिया एक रक्त स्राव से सम्बधित बीमारी है।जिसमें रक्त सामान्य तरीके से नहीं जमता है। क्योंकि इसमे थक्केदार बनाने वाले प्रोटीन नहीं होते हैं  अगर किसी को हीमोफीलिया है तो उसे चोट लगने के बाद अधिक समय तक रक्त स्राव हो सकता है। क्योंकि खून रोकने की क्षमता उनके शरीर में कम हो जाती है। इस दिन का महत्व हीमोफीलिया और रक्त संबंधी विकार वाले लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाति है। गंभीर रोगियों में मांसपेशियों, जोड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों में रक्तस्राव हो सकता है। यह एक विरासत में मिली बीमारी होती है। जो बच्चे को उसके माता-पिता से मिलती हैं। इसलिए जल्दी पता लगने पर रोगियों को बीमारी से बचने और बीमारी के बारे में सावधानियां रखने के लिए जागरुक किया जा सकता है।  जिन लोगों को गंभीर हीमोफीलिया है उनके लिए सिर्फ एक साधारण टक्कर मात्र से भी मस्तिष्क में रक्त का कारण बन सकती है। यह सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है जिससे बचना चाहिए। इसके संकेत और लक्षण - दर्दनाक सिर दर्द, उल्टी आना,या दृष्टि मे दो -दो तस्वीरे...

उत्तराखंड मे नरभक्षी बाघों का बढता खतरा एक चुनौती

Image
उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य है इसका लगभग 71.5 प्रतिशत भाग पर वन हैं। आये दिनों लगातार यहां बाघों के हमने बढते जा रहे है। अलग -अलग जिलों मे समय- समय पर बाघों और अन्य जानवरों के हमले मनुष्यों पर होते रहते हैं। लेकिन बाघों के सबसे ज्यादा हमले कार्नबेटनेशनल पार्क (टाइगर रिजर्व) से सटे क्षेत्रों मे हो रहे है रामनगर, सल्ड,ढिकुली,नैनीडाण्डा,मोण्ड,रिखणीखाल आदि क्षेत्रों मे गौर किया जाये तो इसके बहुत सारे कारण हैं 1-जंगली मांसाहारी जानवरों की संख्या का बढना। 2-लगातार उत्तराखंड से बढता पलायन। गावों का सूनापन गांवों की खेती, किसानी, बकरवालों,गौपालों की गतिविधियों का जंगलों मेना के बराबर होना।उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय उद्यानों मे खासकर कार्बेट नेशनल पार्क मे बाघों की संख्या का बढना जिससे बाघों के लिए वन क्षेत्रफल का कम होना। पहले गुलदार अधिक संख्या मे गांवों की तरफ आये। अब लगातार बाघ गांवों की तरफ आने लग गये हैं और वे लगातार मनुष्यों पर हमले कर रहे हैं। ऐसे मे सभी की जिम्मेदारी भी बन जाती है कि मानव और जंगली जीवों के बीच के संघर्ष को रोका जाये।आम जनता वन विभाग, सामाजिक संगठन, पर्यावरण, संगठन, शासन ...

गुरु नानक जी और प्रकाश पर्व

Image
सिक्खों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 वि संवत 1526 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था उनके जन्मदिवस को  प्रकाश पर्व उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है।  बचपन से ही गुरु नानक जी आध्यात्मिक विवेक और विचारशील,व्यक्तित्व के थे ।उन्होंने 7 साल की उम्र में ही हिंदी और संस्कृत सीख ली थी 16 साल की उम्र तक आते-आते वह अपने आसपास के राज्य में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और जानकार बन चुके थे।  उन्होंने इस्लाम, ईसाई धर्म, और यहूदी धर्म के शास्त्रों का भी अध्ययन किया। नानक जी की शिक्षा गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं। नानक जी का मानना था कि भगवान का निवास प्रत्येक व्यक्ति के समीप होता है इसलिए हमें धर्म जाति लिंग, राज्य के आधार पर एक दूसरे से द्वेष  नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा अर्पण,कीर्तन सत्संग, और एक  सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही सिख धर्म की बुनियादी धारणा है। धार्मिक कट्टरता को कम करने के लिए उन्होंने अपने सिद्धांतों को प्रसारित करने हेतु एक सन्यास की तरह घर छोड़कर चल कर दिये। और  लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढाना, आरंभ कर दिया।उ...

भारत रत्न डा भीमराव अम्बेडकर जी

Image
भारत के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकरजी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था।वे अपने माता -पिता के 14वीं सन्तान थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बाबासाहेब नाम से भी जाना जाता है अंबेडकर जी का भारत के संविधान निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है। अंबेडकर जी एक जाने-माने राजनेता व प्रख्यात विधि व्यक्ता थे। उन्होंने देश से छुआछूत जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आंदोलन किए। और अपना पूरा जीवन गरीबों को दे दिया दलित और पिछड़ी जाति के हक के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत  की। आजादी के बाद वे सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और कानून मन्त्री का दायित्व उनके पास था। देश के लिए बहुत अच्छे काम उन्होंने किये। इसके लिए उनको 1990 में भारत रत्न सेभी सम्मानित किया  गया। 15 साल की उम्र  में उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की। अंबेडकर जी पढ़ने में बहुत अच्छे थे और इंटर के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई एलफिंस्टन कॉलेज से की।उन्हें सारी परीक्षाएं बहुत अच्छे अंको से पास की। इसलिए बड़ौदा के गायकवाड राजा सैंया जी ने ₹25 की स्कॉलरशिप हर महीने उनको शिक्षा के लिए दिये।  उन्हों...

महात्मा ज्योतिबा फूले सामाजिक समरसता के प्रतीक

Image
सामाजिक समरसता के प्रतीक महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्रमे हुआ था।उनके पिता का नाम गोविंदराव और माता का नाम विमला बाई था। वे एक भारतीय समाज सुधारक समाज प्रवर्तक विचारक समाजसेवी लेखक दार्शनिक तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं ज्योतिबा फुले के नाम से जाना जाता है। समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्होने बहुत कार्य किये।वे महिला शिक्षा के प्रबल  समर्थक हुई थे। भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और बाल विवाह के सख्त विरोधी थे। महात्मा ज्योतिबा फुले ने सितंबर 1873 में महाराष्ट्र में सत्यशोधक संस्था की स्थापना की। इस संस्था के  गठन का  मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना।बाल विवाह का विरोध,विधवा विवाह का समर्थन करना, समाज की कुप्रथा अंधविश्वास,जातिप्रथा, और अन्य समाजजिक कुरीतियों का विरोध करना था। उन्होने अपना संपूर्ण जीवन  स्त्रियों को शिक्षा प्रदान करने में स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत  किया। 19वीं सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं द...

राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र जी ने कैसे बन्देमातरम गीत से समाज जागरण किया? Bankim chandra

Image
राष्ट्रगीत बन्देमातरम के रचयिता और बंग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून सन 1838 को उत्तरी 24 बंगाल मे हुआ। भारत माता की प्रतिमा को सर्वप्रथम मूर्त रुप देने वाले आप ही थे। बन्देमातरम गीत ने क्रान्तिकारियों को अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लडा़ई लड़ने के लिए जोश से ओत प्रोत किया। और बाद मे राष्ट्रगीत बना। बंकिम जी की शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता में हुई ।1857 में उन्होंने बी ए पास किया और 1869 में कानून की डिग्री हासिल की इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी की। और 1891 में सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त हुए। प्रेसीडेन्सी कॉलेज से ही बीए की पदवी लेने वाले ये पहले भारतीय थे।शिक्षा समाप्त के बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्त हो गई।कुछ समय बाद बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे। राय बहादुर और सीआईटी उपाधियां भी प्राप्त की। बी ए की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने 1858 में डिप्टी मजिस्ट्रेट का पदभार संभाला। सरकारी नौकरी में रहते हुए उन्होंने 1857 का गदर देखा था।जिसमें शासन प्रणाली में आकस्मिक परिव...

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2023

Image
आज पूरा विश्व विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है। आज  ही के दिन अर्थात 7 अप्रैल 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना हुई थी।यह खास दिन हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को स्वास्थ्य प्रति जागरुकता करना। स्वास्थ्य स्तर को बेहतर करना, और समाज को जानलेवा बीमारियों के प्रति शतप्रतिशत जागरूकता करना है। इसी के उपलक्ष्य में हर साल वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य के लिए  यूनाइटेड नेशंस की स्पेशलिस्ट एजेंसी हैं। दुनियाभर में लाखों करोड़ों लोग दिल की बीमारी, पोलियो, टीबी, मलेरिया ,एड्स,शुगर  जैसे भयानक रोगों के शिकार हैं। इसके साथ ही कोरोनावायरस भी तेजी से फैलता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शारीरिक मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना ही मानव स्वास्थ्य की परिभाषा है। जिसके कारण हर किसी को इसके तहत जागरूक करना है। हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस को एक अनोखी थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की (हेल्थ फोर आल) थीम के साथ इसे मनाने का फैसला किया है।इस बार का...

ऐतिहासिक दांडी यात्रा कब हुई और क्योंहुई?Dandi yatra

Image
महात्मा गांधी जी द्वारा नमक सत्याग्रह आन्दोलन दांडी यात्रा,  सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत भी है। परन्तु महत्वपूर्ण नमक कानून को तोडना था।  दांडी यात्रा की शुरुआत 12 मार्च 1930 को गांधी जी के नेतृत्व में हुई थी। 24 दिनों तक यह पदयात्रा मनपाड़ा के साबरमती आश्रम से शुरू होकर नवसारी स्थित छोटे से गांव दांडी तक की थी। नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए प्रमुख आन्दोलनों मे से एक है। इस आंदोलन  ने नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार का विरोध किया था। उस दौर में ब्रिटिश शासन ने चाय, कटोरी और यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार कायम रखा था। उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था। भारतीयों को इंग्लैंड से आने वाले नमक के लिए कई बार ज्यादा पैसे देने होते थे। इह यात्रा में शामिल लोगों ने समुद्र के पानी से नमक बनाने की शपथ ली गांधी जी के साथ उनके 78 आनुयायियों ने यह यात्रा की और 240 किमी  लंबी पैदल यात्रा तय की। गांधी जी के साथ उनके समर्थक समुद्र किनारे पहुंचे जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा।और सविनय अविज्ञा आंदोलन की भी शुर...

सैम मानेक्शा भारत के पहले फील्ड मार्शल

Image
देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेक्शा का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर पंजाब में हुआ था।उनकी शुरुआती पढ़ाई पंजाब और नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में हुई थी।  वे 1अक्टूबर 1932 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के लिए चुने गए। 4 फरवरी 1934 को वहां से पासआउट  हुए।  और ब्रिटिश भारतीय सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट बने। अपने कैरियर के दौरान उन्होने 5 युद्ध लडे। इनमें दो विश्वयुद्ध ,भारत पाकिस्तान विभाजन 1962, का चीन भारतीय युद्ध 1965 और 1971 का भारत  पाकिस्तान युद्ध, अपने कैरियर के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैम मानेक्शा ने अपनी सेना के साथ बर्मा में जापानी आर्मी के खिलाफ मोर्चा संभाला उस समय उनकी कंपनी के 50% से अधिक सैनिक मारे गए। लेकिन मानेक्शा ने जापानियों से़ लड़ाई लड़ी।और अपने मिशन में सफल हुए।एक महत्वपूर्ण स्थान पर  कब्जा करते हुए वह दुश्मन की धुंधली गोलाबारी में बुरी तरह से घायल हो गए थे। उनको 7गोलियां लगी थी। मौत निश्चित थी। लेकिन उन्हें युद्धक्षेत्र से रंगून ले जाया गया। जहां डॉक्टरों द्वारा उनका इलाज किया गया...