क्यों है रामनवमी खास

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम एक अवतारी पुरुष थे। उन्हें विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है।श्री राम को धरती पर मर्यादा का संदेश देने के लिए भेजा गया था। इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। भले ही श्री राम अवतारी पुरुष थे लेकिन उन्होंने सांसारिक प्रक्रिया के तहत अपनी मां की कोख से जन्म लिया था। श्री राम अयोध्या के राजा राजा दशरथ और उनकी पत्नी कौशल्या के पुत्र थे


 दरअसल राजा दशरथ को पुत्र नहीं हो रहा था उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने का फैसला लिया दशरथ ने कई महान ऋषियों और  तपस्वियों, दोनों को यज्ञ का आमंत्रण भेजा।और फिर गुरु वशिष्ट और ऋषियों के नेतृत्व में। पुत्रेष्टि यज्ञ शुरू हुआ। यज्ञ में देश भर से कई महान तपस्वी पधारे वैदिक मंत्रोचार से यह महायज्ञ संपन्न हुआ। यज्ञ के दौरान ऋषियों ने तीनों रानियों और राजा दशरथ  को प्रसाद दिया। दशरथ जी ने सभी तपस्वियों और ब्राह्मणों को भरपूर दान दिया। माता कौशल्या ने पहले गर्भ धारण किया। और इस तरह से चैत्र शुक्ल नवमी को श्री रामजी का जन्म हुआ। राजा और परिवार को सुकून मिला था।चेहरा सुन्दर और अत्यंत आकर्षक था।जिस व्यक्ति ने उस  शिशु को देखा मोहित हो गया। भगवान राम को 10 अवतारों में भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है।



 भगवान राम सबसे पुराने मानव रूपी देवता के रूप रूप में पूजे जाने वाले सबसे पुरानी देवता है। क्योंकि भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था ।और ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग आज से 12 लाख 96 हजार साल पहले समाप्त हो गया था। त्रेतायुग में भगवान राम के अलावा भगवान विष्णु ने वामन और परशुराम के रूप में अवतार लिया।और भगवान राम के रुप मे, भगवान राम सूर्य के वंशज हैं। भगवान राम का जन्म शौक वंश में हुआ था जिसकी स्थापना भगवान सूर्य के पुत्र  ने की थी। इसलिए भगवान राम को सूर्यवंशी भी कहा जाता है। भगवान विष्णु का 394 नाम राम है। विष्णु सहस्त्रनाम नामक पुस्तक भगवान विष्णु के 1000 नामों को सूचीबद्ध करती


 है। इस सूची के अनुसार राम दरअसल भगवान विष्णु का 394 नाम है। भगवान राम का नाम महर्षि वशिष्ठ जी द्वारा रखा गया था। वशिष्ट के अनुसार राम शब्द को बीजाणु बीजक्षरा अग्नि बीज और अमृत बीज से बना है। यह मन शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करते हैं। राम नाम का तीन बार उच्चारण हजारों देवताओं को याद करने जैसा है। महाभारत में


 उल्लेख है कि एक बार भगवान शिव ने कहा कि राम के नाम का 3 बार पाठ करने से हजार देवताओं के नामों के उच्चारण के बराबर कृपा मिलती है। वेदों पुराणों के ज्ञान के अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 880100 वर्ष पहले हुआ हथा। वैज्ञानिकों के द्वारा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से भगवान राम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व तिथि को आंकी गई है। जो कि संदेह युक्त है। अतः यह सही नहीं हो सकता है। भगवान राम के जन्म के बारे में कहते हैं कि चैत्र मास की नवमी तिथि में पुनर्वसु



 नक्षत्र में 5 ग्रहों का सबसे ऊँचे स्थान मे रहने पर तथा कर्क लग्न में चंद्रमा के साथ बृहस्पति की स्थिति होने पर श्री राम का जन्म हुआ था।कहते हैं भगवान श्री राम 11000वर्षों तक इस मृत्युलोक मे रहे और उस समय के सभी दुष्टोंऔर राक्षषों का वध किया। उन्होने मनुष्य रूप मे मर्यादित जीवन यापन किया। वे विर्धामियों से बचकर रहे। इसीलिए उनको मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहते हैं।

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