विश्व आयुर्वेद को आचार्य चरक की देन..

आचार्य चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विश्व विख्यात है। 300-200 ईसा पूर्व वह कुषाण राज्य के राजवैध्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रंथ है। इसमें रोग नाशक एवं रोग निरोधक दवाओं का उल्लेख है। तथा सोना, चांदी, लोहा ,पारा आदि। धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है।आचार्य चरक ने  आचार्य अग्निवेश के अग्निवेश तंत्र में कुछ स्थान तथा अध्याय जोड़कर उसे नया रूप दिया।जिसे आज चरक संहिता के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जाने वाली चरक संहिता में भारत के अलावा यवन,शक,हूणों चीनी आदि जातियों के खानपान और जीवनशैली का भी जिक्र मिलता है। चरक संहिता आयुर्वेद का एक प्राचीनतम ग्रंथ है वस्तुतः यह ग्रंथ ऋषि आत्रेय तथा पुनर्वसु की ज्ञान का संग्रह है। जिसे चरक ने कुछ संशोधित कर अपनी शैली में प्रस्तुत किया। कुछ लोग अग्निवेश को ही चरक कहते हैं।
द्वापर युग में पैदा हुए अग्निवेश चरक ही हैं।अलबरूनी ने लिखा है कि। औषध विज्ञान की हिंदुओं की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक चरक संहिता है।संस्कृत भाषा में लिखी गई इस पुस्तक को 8 स्थान और 120 अध्यायों में बांटा गया है। जिसमें 12000 श्लोक और 2000 दवाइयों के बारे मे जानकारी मिलती है। चरक संहिता पर अनेक व्याख्यान लिखी गई कालक्रम से उनमें से अधिकतर व्याख्यान पूर्णतः विलुप्त हो गये हैं। इन विलुप्त व्याख्यानों के अवशेष हमे उपलब्ध टीकाओं मे आज भी मिलते हैं। चक्रपाणि दत्त की आयुर्वेद दीपिका व्याख्यान माला का आज भी  पठन-पाठन में अधिक प्रचलन है।आयुर्वेद दीपिका व्याख्यान माला के बारे में  विद्वानों की मान्यता है। कि इसके साथ चरक संहिता का अध्ययन किए बिना आयुर्वेद के रहस्यों को समझना अत्यंत कठिन है। चरक संहिता में खानपान और जीवनशैली का भी जिक्र मिलता है इस पुस्तक को विविध सूत्र में बांटा गया है। 

आठ स्थान..

1-सूत्र स्थान में आहार-विहार पथ्य-अपथ्य शारीरिक और मानसिक रोगों की चिकित्सा का वर्णन मिलता है। 
है।

2- निदान स्थान में रोगों के कारणों को जानकर आठ प्रमुख रोगों की जानकारी मिलती है।
3- विमान स्थान में स्वादिष्ट, रुचिकर पौष्टिक भोजन का उल्लेख है।

 4- शरीर स्थान में मानव शरीर की रचना गर्भ में बालक के विकास की प्रक्रिया तथा उसके अवस्थाओं का महत्व बताया गया है। 

5- इंद्रियों स्थान में रोगों की चिकित्सा पद्धति का वर्णन।
 
6- चिकित्सा स्थान मे कुछ विशेष रोगों के इलाज।

 7- कल्प स्थान में साधारण इलाज ।

8-सिद्ध स्थान में कुछ सामान्य रोगों की जानकारी।

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