क्या है विश्व रंगमंच दिवस...
विश्व रंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है।इसकी स्थापना वर्ष 1961 में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान आईटीआई द्वारा की गई थी।इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को थिएटर के मूल्यों और महत्व को बताना है। साथ ही एक दूसरे अर्थात विश्व की संस्कृति को एक दूसरे को साझा
करने, और प्रेमभाव को बढ़ावा देना है। तथा दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देना है। दुनिया का सबसे बड़ा प्रदर्शन कला संगठन,अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान है। इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को थिएटर के मूल्यों और महत्व को बताना,तथा दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच की स्थापना करना है। इसकी स्थापना नृत्य विशेषज्ञों और यूनेस्को द्वारा साल 1948 में की गई थी। आईटीआई का मुख्यालय
फ़्रान्स के पेरिस मे है। दुनिया भर में आईटीआई के 85 केन्द्र है। रंगमंच दो शब्दों के मेल से बना है रंग और मंच यानी ऐसा मंच जिस पर विभिन्न रंगों को लोगों के बीच प्रदर्शित किया जा सके। पश्चिमी देशों में अंग्रेज़ी में इसे थिएटर शब्द से संबोधित करते हैं।विश्व रंगमंच दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व भर के लोगों को रंगमंच की संस्कृति को दिलों से जोड़ने के लिए है इस दिन किसी ,इंटरनेशनल स्तर पर सम्मानित कलाकार को सन्देश देने बुलाया जाता है। विश्व रंगमंच दिवस 2023 के संदेश की लेखिका मिश्र की सिमानाअयूब है। जो मिश्र की मशहूर
अभिनेत्री है। सन 1962 में पहला अंतरराष्ट्रीय संदेश फ्रान्स के जीन काक्टेल ने दिया था। । 2002 मे भारत के गिरीश कर्नाड को यह मौका मिला था। यह मैसेज 50से अधिक भाषाओं मे अनुवादित किया जाता है। भारत की पहली नाट्यशाला महाकवि कालिदास की मेघदूत है। भारत में रंगमंच का इतिहास आज का नहीं बल्कि
सहस्रों वर्ष पुराना है। पुराणों मे भी यम, यामी, उर्वशी, के रुप मे देखने को मिलता हैं। भारतीय नाट्य कला को शास्त्रीय रुप देने का कार्य भरत मुनि ने किया था। । आज भारत मे भी सांइस और तकनीकों से बनी फिल्मों की की भरमार है।साथ ही कई फिल्म विश्व स्तर पर भारत को गौरवान्वित कर रही है।1957 मदर इंडिया, 1988 सलाम बॉम्बे, 2001मे लगान फिल्म आस्कर के लिए नामित हुई थी।भारत और दुनिया भर मे फैले कोरोना वाइरस संकट के दौरान फिल्मी जगत और रंगमंच से जुड़े लोगों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।