विश्व वन दिवस...
विश्व वन दिवस 2023 की थीम वन और स्वास्थ्य-
पर्यावरण वनस्पतियों और पेड़ पौधों के महत्व के विषय में जन -जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व वन दिवस व मनाया जाता है। जंगलों को बचाए रखने के लिए वर्ष 1971 में यूरोपीय संगठन की बैठक में 21 मार्च को प्रतिवर्ष विश्व वानिकी दिवस के रूप में मनाने का
फैसला लिया गया था। बाद में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने भी पेड़ों के महत्व के विषय में जन जागरूकता फैलाने के लिए 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व वानिकी दिवस मनाने पर अपनी सहमति दे दी।तभी से 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व वानिकी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। वानिकी के तीन महत्वपूर्ण तत्व सुरक्षा उत्पादन और वन विहार के बारे में लोगों को जानकारियां देने के लिए उसी साल बाद में 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के रूप में चुना गया।विशेषज्ञों के अनुसार जंगल वस्तुतः एक ऐसा जीवित समुदाय होता है।
जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव -जंतु पेड़ -पौधे कीट- पतंगे एक दूसरे पर निर्भर होकर अपना जीवन बिताते हैं।और पर्यावरण को सन्तुलित बनाते हैं। पर्यावरण विदों की शिकायत है कि, पिछले कुछ दशकों में जिस तरह से मनुष्य ने अपने लालच की पूर्ति के लिए जंगलों का वध करना शुरू किया है।उससे जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर का पिघलना जैसी विकट समस्या शुरू हुई है। अगर हमने अभी भी ध्यान नहीं दिया तो समस्त प्रकृति का वजूद खतरे में पड़ जाएगा। किसी वयस्क व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए जितने सांस की जरूरत है वह उसे 16 बड़े -बड़े पेड़ों से मिल सकती हैं।लेकिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से उनकी संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है। वर्तमान समय में वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सीएएफसी जैसी जहरीली गैसों के उत्सर्जन से
असंख्य जीव धारियों को प्राणवायु को जन्म देने वाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पृथ्वी को इस घोर संकट से बचाने के लिए विश्व की जनसंख्या अगर एक एक पेड़ लगाए तो पृथ्वी को फिर से हरा-भरा बनाया जा सकता है। हमने अपने लाभ के लिए पेड़ काट दिए लेकिन जंगल कुदरत द्वारा दिए गए उपहार है। जो हमें जीवन के लिए जरूरी सांस को जन्म देते हैं।
जलवायु परिवर्तन जैसे तमाम समस्याओं से बचने के लिए हमें पेड़ लगाने चाहिए। दुनिया की आधे से ज्यादा वनस्पति, जंतु, तथा कीट प्रजातियाँ इन्हीं उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में पाई जाती है। लेकिन बड़ी तेजी से काटी जा रही पेड़ों के कारण सभी का जीवन खतरे में पड़ रहा है। मानव जिस निर्ममता से पृथ्वी को जंगल विहीन कर रहा है। उसे देखकर लगता है कि आने वाले कुछ वर्षों में जंगल संग्रहालय की वस्तु बनकर रह जाएंगे।और विश्व के समस्त जीव धारियों पर खतरा अति समीप नजर आता दिन रहा है। अतः हमें हर हाल में जंगलों को बचाने एवं ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने की आवश्यकता है।