भारतीय नववर्ष के आगमन पर संचलन
स्वयंसेवक संघ रिखणीखाल खण्ड का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के आगमन पर पथ संचलन कार्यक्रम तहसील से रिखणीखाल बाजार तक हुआ।
पथसंचलन मे लगभग 50 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता सह विभाग कार्यवाह पौडी संजय जी थे। उन्होने कहां की प्रकृति में जो नव सृजन और परिवर्तन होता है। भारतीय नववर्ष भी उसी प्रकृति परिवर्तन के आधार पर मनाया जाता है। पृथ्वी सूर्य का पूरा चक्कर लगाने में 1 वर्ष लगाती है। जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को पूरा होता है फिर ऋतु, प्रकृति, पर्यावरण मे बदलाव आता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन पृथ्वी सूर्य का पूरा एक चक्कर लगा लेती हैं। फिर पृथ्वी अपनी नई घूर्णन गति को प्राप्त करती है। और नए वर्ष में प्रवेश करती है।
प्रकृति में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है।सभी पेड -पौधे, जीव-जन्तु,और मानव समाज, हर्षोल्लास के साथ फिर से जीवन की गतिविधियों मे लग जाते हैं। प्रकृति परिवर्तन के साथ ही भारतीय नव वर्ष प्रारंभ होता है। भारतीय संस्कृति जो प्रकृति के अनुसार चलने वाली संस्कृति है। भारतीय जीवन पद्धति ग्रह नक्षत्रों के आधार पर चलने वाली संस्कृति है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तक प्रकृति मे चारों तरफ हरियाली छा जाती है। रंग -विंरगे फूल खिल जाते हैं। प्रकृति अपना नया श्रृगांर करती है।
सभी जीव -जन्तुओं,पशु -पक्षियों मे नये जीवन और प्रजनन का समय होता है। मानव समाज मे भी नये जीवन और विचारों का संचरण होने लगता है।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही शकारी राजा विक्रमादित्य का जन्म हुआ।विक्रमी संवत 2080 का प्रारम्भ भी शकों, और हूणों का शमूल नाश करने वाले विक्रमादित्य,जी ने प्रारम्भ इसी दिन से किया। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्म जी ने सृष्टि की रचना की।
भगवान श्री राम जी का राज्यभिषेक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हुआ। संघ संस्थापक डा हेडगेवार जी का जन्म भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हुआ। भारतीय बही खाते भी इसी नव वर्ष से आरम्भ होते हैं। अतः हमे भारतीय नववर्ष को बडे धूम -धाम से मनाना चाहिए। इस अवसर पर जिला प्रचारक कोटद्वार राहुल जी,संघ चालक गमालसिंह राणा जी, खण्ड कार्यवाह संदीप जी आदि स्वयं सेवक उपस्थित रहे।
आप सबको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।