बसन्त ऋतु अर्थात प्रकृति का श्रृंगार...

 बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहते हैं। बसंत ऋतु मे प्रकृति का  नवसृजन  और सौंदर्यीकरण होने लगता है।अर्थात वसंत ऋतु के आने से प्रकृति अपना वास्तविक सौंदर्य और श्रृंगार को फिर से  धारण करने लगती है।मानव हो या पशु -पक्षी ,पेड़ -पौधे ,हो या आसमान में बादल सभी के लिए यक्ष ऋतु प्रसन्नता और वरदान के रूप में आती है। बसंत ऋतु धरती का श्रृंगार करती है।चारों तरफ हरियाली और विभिन्न प्रकार के फूल खिलने लगते हैं। प्रकृति सुंदर  और मनमोहक और खुशबू से भरा वातावरण बन जाता है। इस मौसम में किसान फसल के रूप में अपने मेहनत का फल काट कर घर ले जाते हैं। इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति अर्थात उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा की  बढ़ जाती है।यही कारण है कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता गीता में स्वयं को ऋतु में बसंत कहा है।सभी  देवी -देवताओं और परम शक्तियों में सबसे ऊपर माना है। भारत में बसंत ऋतु मार्च ,अप्रैल और मई के महीने आता है। बसंत ऋतु में तापमान में नमी आ जाती है। सभी जगह हरे भरे पेड़ों और फूलों के कारण चारों तरफ हरियाली और रंगीन वातावरण दिखाई देता है। बसंत ऋतु,प्रकृति, जीव -जंतुओं,और मनुष्यों में अच्छी भावनायें और नवसृजन,उत्पन्न करता है। अच्छा स्वास्थ्य और प्रकृति को नया जीवन देती है। बसंत ऋतु का वास्तविक सौंदर्य प्रकृति और हमारे स्वास्थ्य को पोषण देता है। और हम जीवन के सभी दुखों को भूल जाते हैं।प्रकृति, मनुष्य,पेड-पौधे, और पशु -पक्षी सभी स्वस्थ, सुखी, और सक्रियता महसूस करने लगते हैं।

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