परिवार प्रबोद्धन हेतु करणीय कार्य....
परिवार प्रबोद्धन हेतु करणीय कार्य...
1- कन्याओं का विवाह 21 से 25 वे वर्ष तक, और लड़कों का विवाह 25 से 29वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए
2- फ्लैट न लेकर जमीन खरीदो, और उस पर अपना घर बनाओ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा।
3- नयी युवा पीढ़ी को कम से कम दो संतानों को जन्म देने के लिए प्रेरित करें।
4- गांव से नाता जोड़ कर रखें ! और गांव की पैतृक सम्पत्ति, और वहां के लोगों से नाता, जोड़कर रखें ।
5-अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर अवश्य ध्यान दें।
6- किसी भी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने-देने, व्यवहार करने से यथासंभव बचें ।
7- घर में बागवानी करने की आदत डालें,(और यदि पर्याप्त जगह है,तो देशी गाय पालें।
8-होली दीपावली,विजयादशमी, नवरात्रि, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी त्यौहार आयें, उन्हें आफिस/कार्य से छुट्टी लेकर परिवार के साथ मनाएं।
9-प्रात: काल 5-5:30 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 10 बजे तक सोने का नियम बनाएं ! सोने से पहले आधा गिलास पानी अवश्य पिये (हार्ट अटैक की संभावना घटती है)।
10- यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में असक्षम है, तो उसको कोई भी हुनर (Skill) वाला ज्ञान जरूर दें ।
11- आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी।
12- जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं, तो अपनी संतानों को भी ले जाएं ! इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा ।
13- परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास
करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें।
14- अपनी संतानों को बालीवुड की कचरा फिल्मों से बचाएं, और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं।
15- जंक फूड और फास्ट फूड से बचें।
16-सांयकाल के समय कम से कम 10 मिनट भक्ति संगीत सुने, बजाएं।
17- दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा न करें ।
18-दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं, या साईकिल का प्रयोग करें।
19- अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें,तथा उसे विकसित करें।
20- सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें।
21-अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें ।
22- घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबरी से मनाएँ ! दोनों जरूरी है ! अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा।