नव वर्ष मे भारत विश्व से 57 वर्ष आगे।

हिंदू नव वर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसको मनाने के कारणों को देखें तो इसमें प्रकृति मे ऋतु परिवर्तन और नयापन से है। प्राकृतिक परिवर्तनों के आधार पर यह बसंत ऋतु का समय होता है। और प्रकृति में नयी हरियाली, नया जीवन नई संरचना शुरू हो जाती हैं। इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण संरचना की थी। यही कारण है कि सृष्टि निर्माण के अवसरों को भी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। 


भारतीय नव वर्ष विक्रमी संवत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है। इस कैलेंडर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार और सटीक काल गणना के आधार को प्रमाणित करता है।इसी दिन पृथ्वी सूर्य का पूरा एक चक्कर लगाती है। और ऋतु परिवर्तन होता है। एवं प्रमाणित जानकारी करवाता है। वैज्ञानिक आधारित भारतीय नव वर्ष चैत्र माह के प्रथम तिथि को मनाया जाता है।यह देश में नववर्ष का प्रतीक है। देश में विभिन्न व्रत एवं त्यौहार,शादियां,और अन्य कार्यक्रम का आयोजन भी भारतीय कैलेंडर के अनुसार किया जाता है।


 आध्यात्मिक कारण भारतीय नव वर्ष के अवसर पर जीवन में नवीनता होती है। एवं उसकी शुरुआत की जाती है। भारतीय अध्यात्म में नए बदलाव को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है।ऐसे में नववर्ष को जीवन में नई शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है। प्राकृतिक भारतीय नव वर्ष हमारे देश में बसंत के आगमन का अवसर है। ऐसे में प्रकृति में चारों तरफ हरियाली छाई रहती हैं। 



ऐतिहासिक कारण इसमें हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है।इस कलेण्डर की शुरुआत भारत के महान सम्राट विक्रमादित्य ने शकों और हूणों को पराजित करने एवं राज्याभिषेक के अवसर पर 58 ईसा पूर्व में की थी।पौराणिक
कारण इसमें यह माना जाता है कि  प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक भी  इसी दिन हुआ था।इसी दिन प्रभु श्री राम द्वारा बालि का वध भी किया गया था। और धर्मराज युद्धिष्टर का भी राज्याभिषेक इसी दिवस  को हुआ था। लंकापति रावण पर विजय पाने के अवसर पर इस दिन अयोध्यावासियों ने अपने घर पर भगवान  श्रीराम के सम्मान में विजय पताका फहराये थे। इस वर्ष 2023 में भारतीय नव वर्ष बुधवार 22 मार्च 2023 को है और विक्रम संवत 2080की शुरुआत हो जाएगा। भारतीय नव वर्ष को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि विक्रमी संवत्सर,चैत्र शुक्ल प्रतिपदा,  गुड़ी पड़वा,युगगाब्ध, आदि। भारत में सदियों से हिंदू  विक्रमी संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुरुआत शुभ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस, प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि भारत विश्व से 57 वर्ष आगे चल रहा है। औ वह भी प्रमाणिकता के साथ में अपने कैलेंडर को लेकर के चल रहा है।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS