Posts

Showing posts from March, 2023

नोबेल शान्ति सम्मानित दलाईलामा

Image
31 मार्च 1959 को तिब्बत के धर्मगुरु ने भारत में कदम रखा था। 17 मार्च को  तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल ही निकले थे। और हिमालय की पहाडियों को  पार करते हुए 15 दिनों के बाद भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे। यात्रा के दौरान उनकी और उनके सहयोगियों की कोई खबर नहीं आने पर कई लोगों की यह आशंका लगी थी।कि  उनकी मौत हो गई होगी। दलाई लामा के साथ कुछ सैनिक और कैबिनेट के मंत्री भी थे। चीन की नजरों से बचने के लिए ये लोग सिर्फ रात को सफर करते थे।  87 साल के वे एक तिब्बती आध्यात्मिक नेता है।चीन तिब्बत पर अपना दावा पेश करता है। 87 साल के  दलाई लामा जिस देश मे जाते हैं वहां की सरकारों से चीन आधिकारिक तौर पर आपत्ति जताता है।चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। वह सोचता है कि दलाई लामा उसके लिए समस्या है। बौद्ध धर्म के अनुयाई दलाई लामा को एक दीपक की तरह देखते हैं। उन्हें शान्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। दूसरी तरफ इनके समर्थक अपने नेता के रूप में भी इन्हें देखते हैं। दलाई लामा को मुख्य रूप से शिक्षक के तौर पर देखा जाता है। लामा का मतलब गुरु होता है। जो अपने लोगों...

क्यों है रामनवमी खास

Image
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम एक अवतारी पुरुष थे। उन्हें विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है।श्री राम को धरती पर मर्यादा का संदेश देने के लिए भेजा गया था। इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। भले ही श्री राम अवतारी पुरुष थे लेकिन उन्होंने सांसारिक प्रक्रिया के तहत अपनी मां की कोख से जन्म लिया था। श्री राम अयोध्या के राजा राजा दशरथ और उनकी पत्नी कौशल्या के पुत्र थे  दरअसल राजा दशरथ को पुत्र नहीं हो रहा था उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने का फैसला लिया दशरथ ने कई महान ऋषियों और  तपस्वियों, दोनों को यज्ञ का आमंत्रण भेजा।और फिर गुरु वशिष्ट और ऋषियों के नेतृत्व में। पुत्रेष्टि यज्ञ शुरू हुआ। यज्ञ में देश भर से कई महान तपस्वी पधारे वैदिक मंत्रोचार से यह महायज्ञ संपन्न हुआ। यज्ञ के दौरान ऋषियों ने तीनों रानियों और राजा दशरथ  को प्रसाद दिया। दशरथ जी ने सभी तपस्वियों और ब्राह्मणों को भरपूर दान दिया। माता कौशल्या ने पहले गर्भ धारण किया। और इस तरह से चैत्र शुक्ल नवमी को श्री रामजी का जन्म हुआ। राजा और परिवार को सुकून मिला था।...

1857की क्रान्ति के महानायक मंगल पांडे

Image
1857 के विद्रोह की शुरुआत 29 मार्च को हुई थी।  इस विद्रोह के नायक और स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे थे। आज  के दिन पूरा देश उनको याद करता है। 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को बंगाल की बैरकपुर छावनी में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। 1857 की क्रांति के पीछे कारतूस ने अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल जो एनफील्ड बंदूक थी। उसमें कारतूस भरने के लिए दांतो का इस्तेमाल करना पड़ता था। पहले कारतूस को काटकर खोलना पड़ता था और उसके बाद उसमें भरे हुए बारूद को बंदूक की नली में भरकर कारतूस को डालना पड़ता था।पानी की सीलन से बचाने के लिए कारतूस के बाहर चर्बी लगी होती थी।सिपाहियों में यह  अफवाह फैल गई थी। कि कारतूस में लगी चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनाई जाती है। ऐसे में सिपाहियों को लगा  कि अंग्रेज़ उनका धर्म भ्रष्ट करना चाहते हैं। इसी मुद्दे को आधार बनाते हुए बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया। छावनी के परेड ग्राउंड में मंगल पांडे ने दो अंग्रेज अफसरों को गोली मार दी।इसके बाद मंग...

क्या है विश्व रंगमंच दिवस...

Image
विश्व रंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है।इसकी स्थापना वर्ष 1961 में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान आईटीआई द्वारा की गई थी।इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को थिएटर के मूल्यों और महत्व को बताना है। साथ ही एक दूसरे अर्थात विश्व की संस्कृति को एक दूसरे को साझा  करने, और प्रेमभाव को बढ़ावा देना है। तथा दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देना है। दुनिया का सबसे बड़ा प्रदर्शन कला संगठन,अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान है। इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को थिएटर के मूल्यों और महत्व को बताना,तथा दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच की स्थापना करना है। इसकी स्थापना नृत्य विशेषज्ञों और यूनेस्को द्वारा साल 1948 में की गई थी। आईटीआई का मुख्यालय  फ़्रान्स के पेरिस मे है।  दुनिया भर में आईटीआई के 85 केन्द्र है। रंगमंच दो शब्दों के मेल से बना है रंग और मंच यानी ऐसा मंच जिस पर विभिन्न रंगों को लोगों के बीच प्रदर्शित किया जा सके। पश्चिमी देशों में अंग्रेज़ी में इसे थिएटर शब्द से संबोधित करते हैं।विश्व  रंगमंच दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व भर के लोगों को रंगमंच ...

इतिहास के पन्नों मे 26मार्च

Image
  26 मार्च को देश और विदेश के इतिहास  मे कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज है  उनमें से एक बांग्लादेश का पाकिस्तान से अलग राष्ट्र बनना।   मुंबई पर अंग्रेजों का अधिकार होना शामिल है  महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार है  1552 --- सिखों के तीसरे गुरु बने गुरु अमर दास जी 1668 ---  मुंबई पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया।  1780 --- ब्रिटेन का अखबार गजट और संडे मॉनिटर पहली बार रविवार के दिन प्रकाशित हुआ था।  1799 --- नेपोलियन बोनापार्ट ने जापा फिलिस्तीन पर कब्जा कर लिया था।  1812 --- वेनेजुएला के कारावास में भीषण भूकंप 20 हजार  लोगों की मौत।  1971 --- 26 मार्च को बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया। 26 मार्च को बांग्लादेश अपना  स्वतंत्र दिवस मनाता है। 1974 --- भारत मे चिपका आन्दोलन की शुरुआत हुई थी।

इतिहास मे ऊषा मेहता

Image
25 मार्च 1920 को गुजरात  के सूरत में उषा मेहता का जन्म हुआ था। जब वह छोटी थी तो उनके गांव में एक बार गांधी जी की सभा हुई । और वह गांधी जी के विचारों  इतनी प्रभावित हुई कि उनके मन में क्रान्ति की ज्वाला भड़क गई। और उन्होंने सभी सुख, सुविधाओं का त्याग करते हुए। अपने पिता से कहा है कि वह आगे की पढ़ाई अभी नहीं करेगी। क्योंकि उन्हें देश को आजाद कराने के लिए बाहर आना होगा।  उषा मेहता ने 8 साल की उम्र में साइमन के विरोध में आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे कैम्प में जाकर खादी का कपड़ा बनाना सीखा और उसे पहना भी। उनका पहला नारा था। साइमन वापस जाओ! 1930 में जब उनके पिता जज के पद से रिटायर हुए तो उनका परिवार मुंबई में आ गया।और फिर उन्होंने अपनी पढ़ाई शुरू की। यहां पर उषा अपने रिश्तेदारों को चिट्ठी भेजने के  बहाने से घर से बाहर आकर क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल होने लगी। उन्होने दर्शनशास्त्र से स्नातक किया। और कानून की पढ़ाई शुरू की। जब अंग्रेजों ने भारत में विभाजन की बात कही तब देशभर में तनाव का माहौल पैदा हो गया। उस वक्त बापू ने ब्रिटिश...

जल ही जीवन है

Image
जल संरक्षण और जल रखरखाव  को लेकर दुनिया भर में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।  सभी जीव -जन्तुओं के पीने,जीवित रहने, पेड़-पौधों के लिए ,खेती करने, घर का काम करने, नहाने,खाना बनाने, सभी समय जल की आवश्यकता होती है।  हम हर साल देखते हैं कि पानी बचाने के लिए बड़े-बड़े अभियान चलाए जाते हैं।जहां पानी को लेकर लोग और कई सामाजिक संगठन बड़े, छोटे  कार्यक्रमो मे जल बचाने हेतु अपने विचार रखते हैं।   22 दिसंबर 1992 में प्रस्ताव लाया गया था। जिसमें यह घोषणा की गई कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाएगा इसके बाद 1993 में दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाने लगा। जल दिवस के आसपास जल सम्मेलन का आयोजन भी किया जाता है। पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। पृथ्वी पर मानव जीवन के साथ-साथ सभी जीवधारियों, पशु -पक्षियों,और पर्यावरण सभी के लिए जल अनिवार्य है। जल के बिना जीवन नहीं  है। लेकिन आज जल का अनावश्यक उपयोग हो रहा है। बढती  जनसंख्या,और औद्योगीकरण के कार...

शहीद दिवस पर नमन

Image
मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाली क्रांतिकारी भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव जी के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। भारत मे शहीद दिवस कई तिथियों पर मनाया जाता है ।23 मार्च को उस दिन के रूप में याद किया जाता है जब भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव थापर नाम के तीन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। साथ ही 30 जनवरी को महात्मा गांधी जी की याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।  भारत में मुख्यतः 2 तारीख को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन हम उन स्वतंत्र सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया था। 23 मार्च को हमारे राष्ट्र के तीन क्रान्तिकारियों को अंग्रेजों ने भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया था। इसमें कोई संदेह नहीं है उन्होंने हमारे राष्ट्र के कल्याण के लिए अपने जीवन का  बलिदान दिया है, चाहे उन्होंने महात्मा गांधी से अलग रास्ता चुना हो वह भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।वे इतनी कम उम्र में आगे आए और स्वतंत्रता के लिए उन्होंने बडी बहादुरी के साथ संघर्...

नव वर्ष मे भारत विश्व से 57 वर्ष आगे।

Image
हिंदू नव वर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसको मनाने के कारणों को देखें तो इसमें प्रकृति मे ऋतु परिवर्तन और नयापन से है। प्राकृतिक परिवर्तनों के आधार पर यह बसंत ऋतु का समय होता है। और प्रकृति में नयी हरियाली, नया जीवन नई संरचना शुरू हो जाती हैं। इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण संरचना की थी। यही कारण है कि सृष्टि निर्माण के अवसरों को भी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।  भारतीय नव वर्ष विक्रमी संवत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है। इस कैलेंडर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार और सटीक काल गणना के आधार को प्रमाणित करता है।इसी दिन पृथ्वी सूर्य का पूरा एक चक्कर लगाती है। और ऋतु परिवर्तन होता है। एवं प्रमाणित जानकारी करवाता है। वैज्ञानिक आधारित भारतीय नव वर्ष चैत्र माह के प्रथम तिथि को मनाया जाता है।यह देश में नववर्ष का प्रतीक है। देश में विभिन्न व्रत एवं त्यौहार,शादियां,और अन्य कार्यक्रम का आयोजन भी भारतीय कैलेंडर के अनुसार किया जाता है।  आध्यात्मिक कारण भारतीय नव वर्ष के अवसर पर जीवन में नवीनता होती है। एवं उसकी शुर...

विश्व वन दिवस...

Image
विश्व वन दिवस 2023 की  थीम वन और स्वास्थ्य-   पर्यावरण वनस्पतियों और पेड़ पौधों के महत्व के विषय में जन -जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व वन दिवस व मनाया जाता है। जंगलों को बचाए रखने के लिए वर्ष 1971 में यूरोपीय संगठन की बैठक में 21 मार्च को प्रतिवर्ष विश्व वानिकी दिवस के रूप में मनाने का  फैसला लिया गया था। बाद में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने भी पेड़ों के महत्व के विषय में जन जागरूकता फैलाने के लिए 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व वानिकी दिवस मनाने पर अपनी सहमति दे दी।तभी से 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व वानिकी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। वानिकी के तीन महत्वपूर्ण तत्व सुरक्षा उत्पादन और वन विहार के बारे में लोगों को जानकारियां देने के लिए उसी साल बाद में 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के रूप में चुना गया।विशेषज्ञों के अनुसार जंगल वस्तुतः एक ऐसा जीवित समुदाय होता है।  जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव -जंतु पेड़ -पौधे कीट- पतंगे एक दूसरे पर निर्भर होकर अपना जीवन बिताते हैं।और पर्यावरण को सन्तुलित...

गौरैया संरक्षण अर्थात पर्यावरण संरक्षण

Image
गौरैया करीब 10000 सालों से इंसानों के साथ सहजीवी बनकर रह रही है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में भारत के शहरी क्षेत्रों का विकास होने के कारण गौरैया विलुप्त होने के कगार  पर है।एक वक्त था जब गौरैया का हर घर में बसेरा हुआ करता था।मगर आज  यह प्रजाति संकट के कगार पर है। शहरों में तेजी से हो रहे निर्माण कार्यो के कारण इस बात की चिंता नहीं है कि लुप्त होती गौरैया को कैसे  बचाया जाए।एक दौर था जब पेड़ पौधे घर की छत वेंटिलेटर और खिड़कियां गौरैया के आशियाने हुआ करते थे। लेकिन पेड़ों की कटाई और अति निर्माण हो रहे भवनों और लोगों में पक्षियों के प्रति कम होते प्रेम  के कारण आज उन्हें भोजन पानी मिलना भी दुश्वार हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार गौरया की संख्या में 60 से 80% की कमी आई है।लेकिन क्या आपको मालूम है कि अभी हमने थोड़ी सी कोशिश कर दी तो इस लुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सकता है।   गौरैया पर्यावरण संरक्षण  का कार्य  भी करती है।पक्षी वैज्ञानिकों की मानें तो घोंसला बनाने की जगह में कमी आने के साथ साथ भोजन के लिए कीड़े और दानों की कमी आई है। और साथ ह...

18 मार्च राष्ट्रीयआयुध दिवस

Image
आयुध निर्माण दिवस भारत में प्रतिवर्ष 18 मार्च को मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरे देश में जगह-जगह रक्षा उपकरणों की प्रदर्शनी और विभिन्न आयु वर्गों मे की दौड़ का आयोजन किया जाता है।भारत की सबसे पुरानीआयुध निर्माणी कोसीपोर जो कलकत्ता मे है। इस निर्माणी मे आयुध उत्पादन 18 मार्च 1802 को शुरू हुआ था। इसका मुख्यालय आयुध भवन कोलकाता में है। इसकी स्थापना 1775 मे हुई थी। ओएफबी में 41 आयुध निर्माणी 9 प्रशिक्षण संस्थान,  3 क्षेत्रीय विपणन केंद्र ,और 5 क्षेत्रीय संरक्षा नियंत्रणालयों का एक समूह है। जो पूरे भारत में, जमीन, समुद्र और हवाई प्लेटफार्म के लिए भारतीय आयुध निर्माण सेवाएं,निर्माण परीक्षण,  रसद ,शोध उन्नति और व्यवसायीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह राष्ट्रीय स्तर पर सैन्य बलों और घटकों के निर्माण के लिए एक ठोस आधार प्रदान करते हैं। अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक राष्ट्र के पास पर्याप्त आयुध और बारूद होना चाहिए। इस दिन का उद्देश्य यही सुनिश्चित करना है। कि उच्च गुणवत्ता वाले सामान का उत्पादन किया जाए ।भारत वर्तमान मे 85 प्रतिशत स्वदेशी आयुध क...

भारत के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत से चीन ,पाकिस्तान क्यों सहमते थे? Why were China and Pakistan afraid of India's first CDSGeneral Bipin Rawat?

Image
भारत के रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले मे एक सैनिक परिवार में हुआ था। उनके पिता भी श्री लक्ष्मण सिंह रावत जी जो कि भारतीय सेना मे एक लेफ्टिनेंट जनरल के पद से अवकाश प्राप्त थे। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के निवासी थे। जनरल रावत नेअपना शुरुआती अध्ययन कैंब्रियन हाल स्कूल देहरादून, और शिमला के  सेंट एडवर्ड स्कूल से की।  और उसके बाद बिपिन रावत ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला मे दाखिला लिया। फिर देहरादून मे स्थित भारतीय रक्षा अकादमी से प्रथम श्रेणी मे स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद मे जनरल रावत ने डिफेंस स्टडीज में एमफिल और पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त की।  शुरू से ही जनरल बिपिन रावत के घर में राष्ट्र प्रेम, और  देश रक्षा की भावना होने के कारण सेना में जाने का मन था।और रुतबे का माहौल रहा था उन्होंने बचपन से ही देश का सैनिक बनने का शौक मन मे पाल रखा था। जो कि उनका सपना पूरा ही नहीं बल्कि उन्हें सेना के सर्वोच्च पद पर भी सम्मानित होने के रूप में प्राप्त भी हुआ था। जनरल रावत का आर्मी कैरियर - ...

परीक्षा देते समय की सावधानियां ..

Image
प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में परीक्षा देने का अवसर अवश्य प्राप्त होता है।  परीक्षा एक ऐसा अवसर है जब व्यक्ति की योग्यता और मेहनत का पता चलता है। सफलता हेतु परीक्षा देना अनिवार्य माना जाता है। किसी भी परीक्षार्थी पर परीक्षा का भूत सवार हो जाता है। भूत जिस पर सवार हो जाता है उसके रातों की नींद उड जाती है। और दिन की भूख गायब हो जाती है। और घर में सगे संबंधियों का होना या आना -जाना बुरा  लगने लगता है। परीक्षा में पास होना आवश्यक है। नहीं तो जीवन का बहुमूल्य वर्ष चला  जाता है। हम अपने साथियों से बिछड़ जाएंगे। ऐसी चिंता हर विद्यार्थी को होती हैं। परीक्षा में विद्यार्थी आत्मविश्वास से परिपूर्ण होते हैं। फिर भी उन्हें परीक्षा का डर कम नहीं होता। जो विद्यार्थी वर्ष भर मेहनत नहीं करते वे परीक्षाओं के दिनों मे परेशान होते हैं। और वे इन दिनों में भगवान से अपनी सफलता की प्रार्थना कर रहे होते हैं। ताकि वे फेल होने से बच जायें। और इस दिन वे सोचते है। कि हम  पहले से क्यों नहीं पढे। जो विद्यार्थी शिक्षा को अपने अंदर तक आत्मसात  नहीं कर पाते हैं। तो इसी कार...

प्रकृति का आभार प्रकटीकरण है फूलसंक्रान्ति/फूलदेही

Image
प्रकृति का आभार प्रकट करने वाला  लोकपर्व है।फूलसंक्रांन्ति और फूलदेही। ।फूल संक्रान्ति उत्तराखंड में चैत के महीने मे जब चारों तरफ रंग बिरंगे। फूल बुरांस, फ्योंली, बसिंगा,कचनिर आदि फूल खिल जाते हैं।  तो तब चैत मास को   फूलसक्रांति(गढवाल मंडल) तथा फूलदेही (कुमायूं मंडल) मे  छोटे-छोटे बच्चे तथा किशोरी बालिकायें  गांवों और मोहल्ले के घरों के मुख्यद्वारों पर फूल पत्तियां डालते हैं।चैत मास मे ऊंचे पहाड़ों से बर्फ पिघल जाती है।और सर्दियों के मुश्किल दिन बीत जाते हैं। और प्रकृति चारों और विभिन्न प्रकार के लाल फूलों की चादर ओढ़ने लगती हैं। तब पूरे इलाके की खुशहाली के लिए फूलदेही और फूलसंक्राति का त्यौहार मनाया जाता है।टोकरी में फूलों के साथ गुड़ चावल और नारियल रखकर बच्चे अपने गांव और मोहल्ले  के घरों की ओर निकल जाते हैं। और घर के मुख्य द्वार पर एक फ्योंली का पीला फूल अवश्य डाला जाता है। फ्योंली के फूल को लेकर इस त्यौहार को लेकर उत्तराखंड में कई लोगकथायें भी हैं। जिनमें से एक लोककथा कुछ इस प्रकार से है। कि एक कन्या थी जिसका नाम फ्य...

भारतीय नववर्ष के आगमन पर संचलन

Image
 स्वयंसेवक संघ रिखणीखाल खण्ड का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के आगमन पर पथ संचलन कार्यक्रम तहसील से रिखणीखाल बाजार तक हुआ।  पथसंचलन मे लगभग 50  स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता सह विभाग कार्यवाह पौडी संजय जी थे। उन्होने  कहां की प्रकृति में जो नव सृजन और परिवर्तन होता है। भारतीय नववर्ष भी उसी प्रकृति परिवर्तन के आधार पर मनाया जाता है। पृथ्वी सूर्य का पूरा चक्कर लगाने में 1 वर्ष लगाती है। जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को पूरा होता है फिर ऋतु, प्रकृति, पर्यावरण मे बदलाव आता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन पृथ्वी सूर्य का पूरा एक चक्कर लगा लेती हैं। फिर पृथ्वी अपनी नई घूर्णन गति को प्राप्त करती है। और नए वर्ष में प्रवेश करती है।  प्रकृति में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है।सभी पेड -पौधे, जीव-जन्तु,और  मानव समाज, हर्षोल्लास के साथ फिर से जीवन की गतिविधियों मे लग जाते हैं। प्रकृति  परिवर्तन के साथ ही भारतीय नव वर्ष प्रारंभ होता है। भारतीय संस्कृति जो प्रकृति के अनुसार चलने वाली संस्कृति है। भारतीय जीवन पद्धति ग्रह नक्षत्रों के आधार पर चलन...

बसन्त ऋतु अर्थात प्रकृति का श्रृंगार...

Image
  बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहते हैं। बसंत ऋतु मे प्रकृति का  नवसृजन  और सौंदर्यीकरण होने लगता है।अर्थात वसंत ऋतु के आने से प्रकृति अपना वास्तविक सौंदर्य और श्रृंगार को फिर से  धारण करने लगती है।मानव हो या पशु -पक्षी ,पेड़ -पौधे ,हो या आसमान में बादल सभी के लिए यक्ष ऋतु प्रसन्नता और वरदान के रूप में आती है। बसंत ऋतु धरती का श्रृंगार करती है।चारों तरफ हरियाली और विभिन्न प्रकार के फूल खिलने लगते हैं। प्रकृति सुंदर  और मनमोहक और खुशबू से भरा वातावरण बन जाता है। इस मौसम में किसान फसल के रूप में अपने मेहनत का फल काट कर घर ले जाते हैं। इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति अर्थात उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा की  बढ़ जाती है।यही कारण है कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता गीता में स्वयं को ऋतु में बसंत कहा है।सभी  देवी -देवताओं और परम शक्तियों में सबसे ऊपर माना है। भारत में बसंत ऋतु मार्च ,अप्रैल और मई के महीने आता है। बसंत ऋतु में तापमान में नमी आ जाती है। सभी जगह हरे भरे पेड़ों और फूलों के कारण चारों तरफ हरियाली और रंगीन वातावरण दिखाई देता है...

अन्तराष्टीय महिला दिवस क्यों मनाते है?2024 की थीम क्या है?International women's day

Image
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर समस्त महिला शक्ति को नमन। भारत जैसे देश मे तो नारी की पूजा अनादिकाल से होती आ रही है। मां दुर्गा, महाकाली, सरस्वती, लक्ष्मी,आदि रुपों मे।  आज विश्व भर मे हर क्षेत्र मे महिला शक्ति  ने अपना परचम लहराया है। हर किसी ब्यक्ति  के जीवन मे महिला मां, बहिन, बेटी,बहू, पत्नी ,के रुप मे होती है। नारी अनन्त काल से समर्पित रही है।परिवार, समाज, और मानव जीवन के लिए।आज जरुरत है हमे कि हम महिला का सम्मान समर्पण भाव से मानव ब्यवहार मे लाये। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस केवल महिलाओं की उपलब्धियां का जश्न मनाने का दिन नहीं है। यह लैंगिक समानता के लिए कार्रवाई को ब्यवहार मे लाने का अवसर है। जिससे दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के लिए बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रतिबिंब वकालत और कार्यवाही को प्रोत्साहित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व लैंगिक समानता, प्रजनन अधिकार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने की क्षमता में निहित है। यह दिवस...

होली भारतीय संस्कृति का प्रमुख त्यौहार ....

Image
होली भारतीय संस्कृति का मुख्य त्यौहारों मे से एक है। भारतीय संस्कृति में हर त्योहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या कथा जरुर होती है। होली मनाये जाने के पीछे भी एक कहानी है। हिरण्कश्यप नाम एक बड़ा असुर राजा था। जो अत्याचारी था।और  खुद को भगवान समझता था। उसने अपनी सारी प्रजा को आदेश दिया था कि। सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना  करें।जबकि उसका बडा पुत्र  प्रहलाद जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी और उसने ईश्वर भक्ति में ही अपने को लगाये रखा। फिर पिता हिरण्कश्यप की क्रोध की सीमा न रही। हिरण्कश्यप ने प्रह्लाद को मरवाने के बहुत उपाय किये लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय हिरण्कश्यप का सफल ना हो सका। हिरण्कश्यप कश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका उसे वरदान प्राप्त था। कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। हिरण्कश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई।परन्तु ईश्वर भक्त प्रह्लाद का कुछ भी न बिगड़ा। प्रह्लाद तो बच गया।परन्तु होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती हैं। और अगले दिन रंगो...

विश्व आयुर्वेद को आचार्य चरक की देन..

Image
आचार्य चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विश्व विख्यात है। 300-200 ईसा पूर्व वह कुषाण राज्य के राजवैध्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रंथ है। इसमें रोग नाशक एवं रोग निरोधक दवाओं का उल्लेख है। तथा सोना, चांदी, लोहा ,पारा आदि। धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है।आचार्य चरक ने  आचार्य अग्निवेश के अग्निवेश तंत्र में कुछ स्थान तथा अध्याय जोड़कर उसे नया रूप दिया।जिसे आज चरक संहिता के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जाने वाली चरक संहिता में भारत के अलावा यवन,शक,हूणों चीनी आदि जातियों के खानपान और जीवनशैली का भी जिक्र मिलता है। चरक संहिता आयुर्वेद का एक प्राचीनतम ग्रंथ है वस्तुतः यह ग्रंथ ऋषि आत्रेय तथा पुनर्वसु की ज्ञान का संग्रह है। जिसे चरक ने कुछ संशोधित कर अपनी शैली में प्रस्तुत किया। कुछ लोग अग्निवेश को ही चरक कहते हैं। द्वापर युग में पैदा हुए अग्निवेश चरक ही हैं।अलबरूनी ने लिखा है कि। औषध विज्ञान की हिंदुओं की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक चरक संहिता है।संस्कृत भाषा में लिखी गई इस पुस्तक को 8 ...

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस....

Image
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस भारत में हर वर्ष 4 मार्च को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 4 मार्च 1972 से हुई ।यह सप्ताह राष्ट्रीय सुरक्षा जागरुकता हेतु विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी, संस्थानों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग और विभिन्न औद्योगिक संगठनों द्वारा मिलकर मनाया जा रहा है। यह संस्थाएं विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यमों से राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना को देश के नागरिकों मे जाग्रत करती हैं।इन कार्यक्रमों को विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,पत्रिकाओं,समाचार पत्र और अन्य औद्योगिक पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाता है।राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के दौरान औद्योगिक दुर्घटनाओं से बचाव के तरीकों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस खासतौर पर हजारों सिपाहियों को समर्पित किया जाता है।जो अपनी जान को खतरे में डालकर देश की सभी तरह से सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात रहते हैं।इस वर्ष का राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का थीम है। (हमारा लक्ष्य शून्य नुकसान) राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का सही अर्थ है कि देश का किसी भी क्षेत्र मे कोई भी और कुछ भी नुक...

परिवार प्रबोद्धन हेतु करणीय कार्य....

Image
परिवार प्रबोद्धन हेतु करणीय कार्य...  1- कन्याओं का विवाह 21 से 25 वे वर्ष तक, और लड़कों का विवाह 25 से 29वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए  2- फ्लैट न लेकर जमीन खरीदो, और उस पर अपना घर बनाओ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा। 3- नयी युवा पीढ़ी को कम से कम दो संतानों को जन्म देने के लिए प्रेरित करें। 4- गांव से नाता जोड़ कर रखें ! और गांव की पैतृक सम्पत्ति, और वहां के लोगों से नाता, जोड़कर रखें । 5-अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर अवश्य ध्यान दें। 6- किसी भी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने-देने, व्यवहार करने से यथासंभव बचें । 7- घर में बागवानी करने की आदत डालें,(और यदि पर्याप्त जगह है,तो देशी गाय पालें।   8-होली दीपावली,विजयादशमी, नवरात्रि, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी  त्यौहार आयें, उन्हें आफिस/कार्य से छुट्टी लेकर परिवार के साथ मनाएं। 9-प्रात: काल 5-5:30 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 10 बजे तक सोने का नियम बनाएं ! सोने से पहल...