छत्रपति शिवाजी
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 की शुभ लग्न में जीजाबाई की कोख से हुआ था। शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। 1674 मे शिवाजी ने खुद को महाराष्ट्र का एक स्वतन्त्र शासक घोषित किया।
और छत्रपति की उपाधि धारण की। और हिन्दुओं के स्वशासन की नींव रखी थी। उनके पास अपनी शाही मुहर थी। जो संस्कृत मे थी। उनकी दृढ इच्छा थी। कि एक हिन्दू एक बार फिर से राजा बन सकता है।इसीलिए उन्होने खुद का
राज्याभिषेक करवाया।2023 मे उनका राज्याभिषेक स्थापना दिवस हिन्दू पंचागों के अनुसार २जून को था। शिवाजी को गुलामी पसन्द नहीं थी। धार्मिक अभ्यासों मे शिवाजी की काफी रुचि थी। वे रामायण और महाभारत का अभ्यास बडे़ ध्यान से करते थे।छत्रपति का अर्थ है। जो अपने अनुयायियों को छतरी की तरह छाया देता है।और क्षत्रियों का प्रमुख। शिवाजी ने कोंकणी तट पर एक मजबूत सेना और नौसेना की स्थापना की। शिवाजी को भारत मे और विशेष रुप से महाराष्ट्र मे एक राष्ट्रीय नायक के रूप मे माना जाता है। उनके अन्दर मुगल शासन के खिलाफ लड़ने का अदम्य साहस था।
शिवाजी ने 16 वर्ष की आयु मे पहला किला तोरण, आदिलशाह से जीता था। उन्होने 52 किले जीते। संसार के गुण संपन्न महापुरुषों से उनकी तुलना की जाती है। जैसे सेना संचालन में सिकंदर से,गरीबों की निराशा तथा जनता के मनोबल के लिए लिंकन से। तथा चर्चिल से। प्रखर राष्ट्रवाद एवं संगठित करने के गुण के लिए वाशिंगटन से।
शिवाजी संपूर्ण गुण -समुच्चय की दृष्टिसे चारित्रिक दृष्टिकोण से बहुत महान थे। और आज तक भी उनकी तुलना में कोई भी सत्ताधीश टिक नहीं सकता। और न हीं सम्भव है।
माओ और चे-ग्वेवेरा से लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व ही शिवाजी ने गोरिल्ला युद्ध तन्त्र आरम्भ कर दिया था। इतिहास के जिस कालखंड में एक सेकुलर राज्य की कल्पना पश्चिम में लोकप्रिय नहीं थी ।उस समय शिवाजी ने हिंदू परंपरा के अनुकूल संप्रदाय धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना की थी। 6 जून 1674 के दिन जो शिवाजी का राज्यारोहण हुआ। तो वह व्यक्ति का राज्य रोहण न मानकर हिंदू संस्कृति के पुनरुत्थान की और विश्व धर्म की पुनर्स्थापना थी। सनातन काल से हिंदू राष्ट्र ने जिस आदर्श को संस्थापित किया। वह आदर्श प्रत्यक्ष होकर सिंहासन पर विराजमान हो रहा था।और यही भावना उस समय जनमानस की भी थी।