21फरवरी अन्तराष्टीय मातृ भाषा दिवस
21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 में की थी जिसके बाद पहली बार 21 फरवरी 2000 को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया गया मातृभाषा का अर्थ है मां की भाषा यानी यह जीवन की पहली भाषा है जो हम अपने मां से सीखते हैं आमतौर पर जो भाषा घर में बोली जाती है जिसे हम बचपन से सुनते उसे मातृभाषा कहते हैं देश में हजारों मातृभाषा है क्योंकि हर छोटे-छोटे क्षेत्र में अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती है मुख्य रूप से देश में हिंदी संस्कृत उर्दू पंजाबी बांग्ला भोजपुरी अंग्रेजी सहित तमाम ऐसी भाषा है जो प्रचलित है लेकिन मातृभाषा इससे भी नहीं होती है क्योंकि देश के कई राज्यों में हिंदी भाषा बोली जाती है लेकिन इन राज्यों में मातृभाषा अलग अलग हो जाती हैं ।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम क्षेत्रों की संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा के साथ ही भाषाई सांस्कृतिक विविधता एवं भाषावाद का प्रचार और दुनिया भर की तमाम मातृ भाषाओं के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है आम जीवन में भाषा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यही वजह है कि यूनेस्को द्वारा हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाया जाता है यूनेस्को हर साल अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को वृहद स्तर पर और बेहतर ढंग से मनाए जाने को लेकर एक थीम निर्धारित करती है जिसके तहत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उसे आगे बढ़ाया जाता है इसी क्रम में साल 2023 के लिए यूनेस्को ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाने के लिए टीम भी निर्धारित कर दी है जिसके तहत वर्तमान साल के लिए बहुभाषी शिक्षा शिक्षा को बदलने की आवश्यकता टीम निर्धारित की है