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Showing posts from February, 2023

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद.....

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             (27 फ़रवरी 1931/ बलिदान दिवस                     महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा नामक स्थान पर सीताराम जी के यहाँ हुआ था।बडी - बडी आंख बलवान शरीरचेहरे पर स्वाभिमान और देश प्रेम की चमक कुशल निशानेबाज।आजाद हूँ, आजाद रहूंँगा,और आजाद ही रहूँगा। यह नारा था।स्वतंत्रताके लिए अपना बलिदान देने वाले देश के महान क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आज़ाद का। आजाद बचपन में आदिवासी इलाके में रहे इसलिए बचपन में ही उन्होंने निशानेबाजी सीख ली थी.                   जिस वक्त जलियांवाला बाग में अंग्रेजी हुकूमत ने नरसंहार किया उस वक्त आजाद बनारस में पढ़ाई कर रहे थे. सन् 1921 में महात्मा गांधी ने जब असहयोग आंदोलन चलाया तो आजाद भी सड़कों पर उतर गए. उन्हें गिरफ्तार भी किया गया लेकिन हर हाल में वह वन्दे मातरम और महात्मा गांधी की जय ही बोलते रहे।             ...

21फरवरी अन्तराष्टीय मातृ भाषा दिवस

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 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 में की थी जिसके बाद पहली बार 21 फरवरी 2000 को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया गया मातृभाषा का अर्थ है मां की भाषा यानी यह जीवन की पहली भाषा है जो हम अपने मां से सीखते हैं आमतौर पर जो भाषा घर में बोली जाती है जिसे हम बचपन से सुनते उसे मातृभाषा कहते हैं देश में हजारों मातृभाषा है क्योंकि हर छोटे-छोटे क्षेत्र में अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती है मुख्य रूप से देश में हिंदी संस्कृत उर्दू पंजाबी बांग्ला भोजपुरी अंग्रेजी सहित तमाम ऐसी भाषा है जो प्रचलित है लेकिन मातृभाषा इससे भी नहीं होती है क्योंकि देश के कई राज्यों में हिंदी भाषा बोली जाती है लेकिन इन राज्यों में मातृभाषा अलग अलग हो जाती हैं । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम क्षेत्रों की संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा के साथ ही भाषाई सांस्कृतिक विविधता एवं भाषावाद का प्रचार और दुनिया भर की तमाम मातृ भाषाओं के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय...

छत्रपति शिवाजी

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छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 की शुभ लग्न में जीजाबाई की कोख से  हुआ था। शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। 1674 मे शिवाजी ने खुद को महाराष्ट्र का एक स्वतन्त्र शासक घोषित किया।  और छत्रपति की उपाधि धारण की। और हिन्दुओं के स्वशासन की नींव रखी थी। उनके पास अपनी शाही मुहर थी। जो संस्कृत मे थी। उनकी दृढ इच्छा थी। कि एक हिन्दू एक बार फिर से राजा बन सकता है।इसीलिए उन्होने खुद का  राज्याभिषेक करवाया।2023 मे उनका राज्याभिषेक स्थापना दिवस  हिन्दू पंचागों के अनुसार २जून को था।  शिवाजी को गुलामी पसन्द नहीं थी। धार्मिक अभ्यासों मे शिवाजी की काफी रुचि थी। वे रामायण और महाभारत का अभ्यास बडे़ ध्यान से करते थे।छत्रपति का अर्थ है। जो अपने अनुयायियों  को छतरी की तरह छाया देता है।और क्षत्रियों का प्रमुख। शिवाजी ने कोंकणी तट पर एक मजबूत सेना और नौसेना की स्थापना की। शिवाजी को भारत मे और विशेष रुप से महाराष्ट्र मे एक राष्ट्रीय नायक के रूप मे माना जाता है। उनके अन्दर मुगल शासन के खिलाफ लड़ने का अदम्य साहस था।   शिवाजी ने 16 वर्ष ...

महाशिवरात्रि क्या है?और क्यों मनाते है?

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   महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं। भगवान शिव और माता सती  के विवाह को समर्पित एक हिंदू पर्व है। इस दिन शिव भक्त उपवास और शिव मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं । (उपवास का अर्थ है समीप वास करना अर्थात भगवान के समीप वास करना।) भगवान शिव और माता सती के विवाह की कहानी इस प्रकार  है।  कहते हैं कि एक बार दंड का रण मे भगवान राम और लक्ष्मण जी माता सीता की खोज में विचरण कर रहे थे। इस कथा का उल्लेख श्रीमद् भागवत कथा और रामचरितमानस में भी  है ।तो जब भगवान राम और लक्ष्मण जी दंड का रण माता सीता की खोज में विचरण  कर रहे थे। तो तभी माता सती की नजर उन पर पड़ी ।और माता सती ने भगवान शिव से पूछा कि ये कौन है ।तो भगवान शिव ने कहा कि ये भगवान श्री रामचंद्र जी और उनके अनुज लक्ष्मण जी हैं जो अपनी भार्या की खोज में विचरण कर रहे हैं। इस पर पार्वती जी ने कहा कि भगवान हो करके ।इस प्रकार ब्याकुल और विचरण?ये भगवान नहीं हो सकते?ये सामान्य मानव होंगे? जरूर मुझे इनकी परीक्षा लेनी चाहिए। और ऐसा करके भगवान शिव के मना करने ...

विश्व भर में भारतीय संस्कृति का संचार

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भारतीय संस्कृति की चेतना गीता वेदांत के माध्यम से विश्व मैं प्रसारित हुई है आज योग, आयुर्वेद  संगीत नृत्य आदि के रूप में उसका संचार हो रहा है विश्व में फैले अवशेष या बताते है कि भारतीय संस्कृति सारे विश्व में फैली हुई थी पीएम कोट की पुस्तक इंद्रसेन में आज नामों ने सिद्ध किया है कि भारतीय सूर्यवंशी राजाओं का राज्य यूरोप की भूमि पर रहा रहा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भी मंदिर भारतीय संस्कृति सं संचार को प्रकट करते हैं  भारतीय संस्कृति की स्थाप स्थापत्य कला प्राचीन भारतीय मंदिरों मंदिरों और बहनों से मिलती है महाभारत के युद्ध में विश्व के अनेक देश से भागे हुए बौद्ध कला में जापान चीन सहित अनेक देशों में हिंदू संस्कृति पहुंची अनेक भारतीय विश्वविद्यालयों में विश्व भर के छात्र पढ़ते थे उनके द्वारा भी भारतीय संस्कृति व सभ्यता बाहर था आधुनिक काल में व्यापारी एवं कंपनियां कंपनियों द्वारा ले जाएंगे कर्मचारियों तकनीशियन के माध्यम से अफ्रीकी देशों में भारतीय संस्कृति पहुंच फौजियों के आचार विचार वेदों के समरूप है जर्मनी में अनेक लोग अपने को आग कहते है स्केन्डियनदेश का नाम भी ...

सच्चा स्वास्थ्य और हम

सच्चा स्वास्थ्य यदि दवाइयों से मिलता तो कोई डाक्टर, कैमिस्ट या फिर उनके परिवार का कोई भी बीमार सदस्य बीमार नहीं पड़ता। स्वास्थ्य खरीदने से मिलता ।  तो संसार में कोई भी धनवान रोगी नहीं रहता। स्वास्थ्य इंजेक्शन यंत्रो चिकित्सालयों की विशाल भवनों और डॉक्टर की डिग्रियों से नहीं मिलता ।अपितु स्वास्थ्य के नियमों का पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से मिलता है। अशुद्ध और अखाद्य, अनियमित रहन-सहन संकुचित विचार तथा छल कपट से भरा व्यवहार, यह विविध रोगों के स्रोत हैं ।कोई भी अंग्रेज़ी दवाई इन रोगों का स्थाई समाधान नहीं कर सकता। थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर रखती है। तो कुछ ही समय में दूसरा रोग भर देती है। अतः जो ब्यक्ति यदि इन दवाइयों से बचकर अपना आहार शुद्ध ,रहन-सहन नियमित, विचार उदार, तथा व्यवहार प्रेममय बनाएं रखे तो वह सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्टि, एवं प्रसन्न बना रहेगा। आदर्श आहार-विहार और विचार व्यवहार ये चहुंमुखी सुख -समृद्धि की कुंजियां है ।सर्दी -गर्मी सहन करने की शक्ति, काम एवं क्रोध को नियंत्रण में रखने की शक्ति, कठिन परिश्रम करने की योग्यता ,स्फूर्ति सहनशीलता हंसमुखता, भूख बरा...

ग्राम्य विकास

ग्राम्य विकास हेतु जरुरी उपाय साक्षरता बढाना। स्वच्छता, स्वास्थ्य जागरूकता, सामाजिक समरसता, स्वावलम्बन हेतु प्रेरित करना, पर्यावरण, वृक्षारोपण, स्वावलम्बन -स्थानीय स्तर पर - दूध डेरी, मौन पालन, बकरी पालन, भेडपालन, खरगोश पालन, बेकरी का कार्य,  उत्तराखंड मे जैविक खेती, किसानों को नकदी फसलों का उत्पादन करने को प्रेरित करना जैसे-मंडवा, झंगोरा, मिर्च, हल्दी, अदरक, मोटी दालें,आदि। वृक्षारोपण -फलदार वृक्ष,मौसमी,सेब,नींबू आंवला, नाशपाती, आदि।  किसी भी गांव मे-न्याय ग्राम पंचायत द्वारा सुलभ हो।  भारतीय जीवन पद्धति का दिग्दर्शन हो  जैसे मन्दिर सामाजिक गतिविधि का केन्द्र  हो,और गांव एक परिवार भावना से खड़ा हो।

परिवार हेतु कुछ बिन्दु

1-विविधताओं के साथ समन्वय करके चलना यह भारत की संस्कृति ही सिखा सकती है।  2-आज इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं से युवा डीप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। अतः इसका उपयोग सीमित रुप मे ही किया जाना चाहिए।  3-हमे भोजन सदा घर परिवार के साथ करना चाहिए।  4-हमे घर के अन्दर अपने बच्चों के साथ हमेशा मातृ भाषा मे ही बात करनी चाहिए। 5-हमे मांगलिक ,धार्मिक कार्यक्रमों मे हमेशा परम्परागत( वेश-भूषा ) वस्त्र पहनने चाहिए।  6-प्रतिदिन घर मे सामूहिक भजन पूजा करनी चाहिए। ताकि सबको सामूहिक संस्कार मिले।  7-वर्ष भर मे एक बार अवश्य सपरिवार तीर्थ स्थान या अन्य स्थानों पर भ्रमण हेतु जायें।  8-अपना भवन अपनी संस्कृति का परिचायक हो। अन्दर और बाहर से।  9- बच्चों को मातृहस्त भोजन करवायें। 10-किसी अवसर पर सहभोज कार्यक्रम भी हो।  वह समाज सुखी होता है जहां त्याग और समभाव हो।नेतृत्व सत्ता केन्द्रित न होकर समाज केन्द्रित है।

मनुष्य का अहंकार

बहुत समय पहले की बात है| किसी गाँव में एक मूर्तिकार  रहता था| वह ऐसी मूर्तियाँ बनता था, जिन्हें देख कर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था । आस-पास के सभी गाँव में उसकी प्रसिद्धि थी, लोग उसकी मूर्तिकला के कायल थे| इसीलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था।जीवन के सफ़र में एक वक़्त एसा भी आया जब उसे लगने लगा की अब उसकी मृत्यु होने वाली है, वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएग।| उसे जब लगा की जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है तो वह परेशानी में पड़ गया।यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई।उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियाँ बनाई और खुद उन मूर्तियों के बीच मे जा कर बैठ गया। यमदूत जब उसे लेने आए तो एक जैसी ग्यारह आकृतियों को देखकर दंग रह गए। वे पहचान नहीं कर पा रहे थे की उन मूर्तियों में से असली मनुष्य कौन है।वे सोचने लगे अब क्या किया जाए।अगर मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो श्रूष्टि का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा। अचानक एक यमदूत को मानव स्वाभाव के सबसे बड़े दुर्गुण अहंकार को परखने का विचार आया। उसने मूर...

इसरो की कामयाबी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन 15अगस्त1969मे किया गया था। 12अप्रैल2018 को भारत ने अपना 100वां उपग्रह लांच किया। इसरो ने अपने 42 वें मिशन मे विभिन्न देशों के 30 अन्य उपग्रह भी अन्तरिक्ष मे भेजे। इसरो विश्व के सबसे सफल अंतरिक्ष संगठनो मे से एक है। इसरो ने पहले प्रयास मे विश्व मे सबसे कम लागत450करोड़ रुपये वाला मार्स आर्बिटर मिशन मंगलयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर इतिहास रचा। 15फरवरी 2017 मे पीएसलबी-सी37द्वारा एक साथ104सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा मे स्थापित करके विश्व रिकार्ड बनाया।  भारत ने अपना खुद का जीपीएस सिस्टम स्थापित करने के लिए 2016 मे सेटेलाईट नाविक सफलतापूर्वक लांच किया। मिशन चन्द्रयान-2इसरो द्वाराविकसित दूसरा चन्द्र अन्वेषण मिशन है।